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क्या ज़ेलेंस्की इतिहास में बहादुरी और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में जाने जायेंगे ?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
भारत के तमाम राष्ट्रवादी रूस के समर्थन में खड़े हैं और ज़ेलेंस्की(Zelenskyy)को अपनी जनता की बर्बादी का दोषी ठहरा रहे हैं ।
देश का नेता अपनी जनता की इच्छा और विचारों का प्रतिनिधि होता है । आज पुतिन (Putin) इस युद्ध के लिये यूक्रेनी राष्ट्रवाद को दोषी ठहरा रहे हैं । कल क्रेमलिन से बयान ज़ारी हुआ है कि यदि यूक्रेन में किसी ने रूसी सैनिकों को निशाना बनाया तो रूस किसी हद तक जा सकता है । यह क्या है ? यदि यूक्रेनी नागरिक अपने राष्ट्रपति के साथ न होता तो राष्ट्रपति के साथ न खड़ा होता । और रूसी सैनिक क्यों नहीं निशाना बनाये जायेंगे ? कोई दादागीरी है ? जो रूस कर सकता वह सब तो कर रहा है , जो बाकी बचा हो वह भी कर ले पर यूक्रेन प्रतिकार तो करेगा ।

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देश पराजित भी होते हैं समर्पण भी करते हैं लेकिन उनका मखौल नहीं उड़ाया जाता कि यदि समर्पण ही करना था तो इतने लोगों को क्यों मरवाया ? सारे राजा मानसिंह कीतरह नहीं होते कुछ रानी झाँसी की तरह भी होते हैं जो निश्चित पराजय देखते हुए भी युद्ध में कूद पड़ते हैं । झाँसी का किला आज उजाड़ पड़ा है और ग्वालियर के महलों में आज भी पहले जैसी रौनक है । लेकिन नेताजी ने रानी झाँसी ब्रिगेड बनाई , सिंधिया ने अपने शूर वीर पूर्वज महाद जी का नाम भी मिट्टी में मिला दिया ।

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जब जापान ने दो परमाणु बम झेलने के बाद आत्मसमर्पण किया तो पराजय की वेदना से व्यथित हो कर हज़ारों जापानी सैनिकों ने वीरोचित विधि से हाराकीरी करके मौत को गले लगा लिया ।

होता है कुछ लोगों में देशभक्ति और राष्ट्रवाद का कीड़ा । कम से कम ख़ुद को राष्ट्रवादी कहने वालों को तो यूक्रेन के राष्ट्रवाद का सम्मान करना चाहिये । हम हम्मीर हठ पर गर्व करते हैं । राव हमीर से खिलजी की केवल इतनी माँग थी कि वह खिलजी के भगोड़े मीर महिमा को शरण न दे पर शरणागत वत्सल राजपूत शरण कैसे न दे । रणथम्भौर बरबाद हो गया मगर हम्मीर अपने हठ पर डटे रहे और उनकी प्रजा उनके निर्णय के साथ डटी रही । हज़ारों औरतों ने जौहर कर लिया ।

मेरी दृष्टि में ज़ेलेंस्की इतिहास में बहादुरी और प्रतिरोध के प्रतीक के रूप में जाने जायेंगे ,रूस अत्याचारी और अमेरिका विश्वासघाती । यूक्रेन की जो गति रूस ने आज बना रखी है और जिस तरह २०१४ में यूक्रेन से क्रीमिया छीन लिया गया था उसको देखते हुए यूक्रेन का नाटो की शरण में जाना उचित ही था लेकिन राव हम्मीर जैसे शरणागतवत्सल केवल भारत में पाये जाते हैं ।

त्रिया तेल हम्मीर हठ चढ़ै न दूजी बार

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)

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