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वे लोग क्यो धन्य हैं जो भारत में अल्पसंख्यक होकर जन्मे हैं ?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
मंदिरों का अधिग्रहण:
एक धर्मनिरपेक्ष सरकार को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे से क्या लेना देना होना चाहिये । धर्मनिरपेक्ष सरकार में राष्ट्रपति से जिलाधिकारी तक किसी भी धर्म के हो सकते हैं । धार्मिक आधार पर न अधिकारियों की भर्ती होती है न धर्म के आधार पर वित्त प्रबंधन होता है । अभी कुछ वर्ष पहले तिरुपति बालाजी के मंदिर में ईसाई ट्रस्टी बिठा दिया गया । भारत जब संवैधानिक रूप से हिंदुओं का देश नहीं है तो हिंदू मंदिरों पर कब्जा क्यों ?

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कुछ समय पहले उज्जैन के मदरसों ने हिंदू मंदिर द्वारा आपूर्त मध्याह्न भोजन स्वीकार करने से इन्कार कर दिया । मंदिर का प्रसाद उनके लिये हराम होता है तो मंदिर की कमाई भी हराम ही होनी चाहिये । कर्नाटक में पचास हजार हिंदू मंदिर अधिग्रहीत हैं तमिलनाडु में लगभग छत्तीस हजार मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं । तमिलनाडु की सरकारें तो रामास्वामी पेरियार के अनुयायी रही हैं जो देवमूर्तियों को अपमानित करके और मंदिरों के पुजारी ब्राह्मणों को अपशब्द कहने की राजनीति करते थे । लेकिन मंदिरों के धन का दुरुपयोग करने में उन्हें कोई लज्जा नहीं हैं ।

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हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की माँग जोर पकड़ती जा रही है । पुरी का गोवर्द्धन पीठ उड़ीसा सरकार ने नियंत्रणमुक्त कर भी दिया ।

अब राजस्थान सरकार ने मेहँदीपुर बाला जी मंदिर के सेवायत का निधन होते ही मंदिर पर अपने दाँत गड़ा दिये हैं । अभी मंदिर को कुव्यवस्था का नोटिस दिया है अगला चरण अधिग्रहण का होगा ।

लिंगायत इसीलिये अपने को अलग धर्म घोषित करने की माँग कर रहे हैं कि अलग होते ही वे अल्पसंख्यक हो जायेंगे और उनके मंदिर उनके नियंत्रण में आ जायेंगे ।

धन्य हैं वे लोग जो भारत में अल्पसंख्यक होकर जन्मे हैं !

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार है)

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