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एनजीटी ने ध्वनि प्रदूषण पर कलेक्टर, एसपी ,आयुक्त तथा विद्युत कंपनी से मांगी रिपोर्ट

ध्वनि प्रदूषण पर आदेश नहीं मांगने पर एनजीटी हुआ सख्त।

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Positive India:Raipur: त्योहारी सीजन में सड़कों पर लगने वाले पंडाल, स्वागत गेट और इस दौरान होने वाले ध्वनि(Noise Pollution) एवं वायु प्रदूषण और इससे आम जनता को हो रहा स्वास्थ्य एवं मानसिक परेशानी के मुद्दे पर एनजीटी(NGT) के आदेश का पालन नहीं किए जाने के कारण छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी ) सेंट्रल जोन बेंच भोपाल के समक्ष याचिका दायर कर रायपुर के कलेक्टर, एसपी, निगम आयुक्त और प्रबंध संचालक विद्युत वितरण कंपनी कंपनी पर एनजीटी एक्ट के प्रावधान अनुसार पेनाल्टी लगाने की मांग की। याचिका पर आज सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस.के. सिंह व एक्सपर्ट मेम्बर डॉ. अरुण कुमार वर्मा की संयुक्त पीठ ने कलेक्टर से 17 जुलाई तक याचिका में प्रस्तुत किए गए तथ्यों पर रिपोर्ट मांगी है। समिति की तरफ से अधिवक्ता गौरवान्वित जैन ने पैरवी की।

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*क्या है एनजीटी का 2016 का आदेश*

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दिनांक 23.09.2016 को प्रकरण ओए 78/2016 में छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति की याचिका में एनजीटी ने आदेशित किया था कि सड़कों पर पंडाल और स्वागत गेट इत्यादि लगाने के लिए बिल्कुल भी अनुमति नहीं दी जाएगी और जब भी सड़क पर पंडाल और गेट लगते हुए पाए जाएं तो लोकल म्युनिसिपालिटी, पुलिस और जिला प्रशासन उन्हें तत्काल हटाएगी और जिम्मेदार पर पेनाल्टी लगाएगी। इसके आलावा किसी भी जुलूस के दौरान कोई पंडाल गेट सड़क पर नहीं आना चाहिए जिससे कि ट्रैफिक के सुचारू प्रभाव में बाधा आवे। एनजीटी ने ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी विस्तृत निर्देश जारी किए थे।

*क्या तथ्य प्रस्तुत किए गए 2023 की याचिका में*

समिति की तरफ से बताया गया कि वर्ष 2022 के त्योहारी सीजन चालू होने के पहले समिति ने मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव आवास और पर्यावरण, पर्यावरण संरक्षण मंडल, रायपुर के कलेक्टर, एसपी, निगम आयुक्त, सभी थाना प्रभारी और निगम के सभी जोन कमिश्नर को पत्र लिखकर के एनजीटी के वर्ष 2016 आदेश अनुसार सड़कों पर पंडाल नहीं लगना देना सुनिश्चित करने की मांग की थी। विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक, रायपुर के सभी अधीक्षण और कार्यपालन अभियंता को एनजीटी के आदेश के परिपालन सुनिश्चित करने के लिए सडकों पर लगने वाले पंडालों को बिजली कनेक्शन न देने की मांग की थी। नागरिक संघर्ष समिति द्वारा ऐसे 48 रजिस्टर्ड पत्र लिखे गए थे तथा कुछ व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों से मिल कर दिए गए थे।

याचिका में बताया गया कि समय-समय पर अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी शहर में सड़कों को बाधित करते हुए सैकड़ों पंडाल सड़क पर लगे, विद्युत वितरण कंपनी ने सभी को एनजीटी के आदेश को अनदेखा करते हुए बिजली कनेक्शन दिए। समिति की तरफ से शहर में लगे पंडालों की और विसर्जन के द्वारा गाइडलाइन के विरुद्ध बजाए गए डीजे की फोटो पेश की गई, सड़कों में लगे हुए जाम से हुई परेशानियों और विसर्जन के दौरान बजे डीजे के प्रकाशित समाचार पत्र भी प्रस्तुत किये गए।

*ट्रैफिक जाम, ध्वनि प्रदुषण के कई उदहारण दिए*

शंकर नगर चौक, राठौर चौक, गोल बाजार, स्टेशन रोड में ट्रैफिक जाम की फोटो प्रस्तुत करते हुए बताया गया कि शंकर नगर चौक में रात्रि कालीन म्यूजिक कार्यक्रम करने के लिए दिन भर सड़क जाम करके मंच बनाया गया और अधिकारियों ने उसे हटाने का कार्य नहीं किया जब कि सड़क पर ही पंडाल भी लगाया गया था, यह थाने से सिर्फ 500 मीटर दूर था। यहीं पर गणेश उत्सव के दौरान ही एक दूसरे दिन भर सड़क बंद कर दिन भर कार्यक्रम किया गया। विसर्जन के दौरान सड़क बंद कर घंटों डीजे और ढोल बजाए गए।

*क्या मांग की गई है याचिका में*

1.कलेक्टर, एसपी, निगमायुक्त तथा प्रबंध संचालक विद्युत वितरण कंपनी पर एनजीटी एक्ट के अनुसार पेनाल्टी लगाई जावे।

2. छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को आदेशित किया जावे की वे पंडाल लगाने से हुए ध्वनि और वायु प्रदूषण का मूल्यांकन कर पंडाल लगाने वालों से वसूल करें।

3. शासन को आदेशित करें कि एनजीटी के आदेश का पालन शब्द तथा और मूल भावना से कराएं।

*क्या है पेनल्टी प्रावधान एनजीटी एक्ट में*

एनजीटी एक्ट की धारा 26 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो एनजीटी के आदेश या अधिनिर्णय गया विनिश्चय का अनुपालन करने में असफल रहता है, तो उसे *3 वर्ष तक की कारावास की सजा* या *जुर्माना जो कि ₹10 करोड़* तक का हो सकेगा या दोनों लगाया जा सकता है और उल्लंघन जारी रहता है तो अतिरिक्त जुर्माने के रूप में रुपए 25000 दंड प्रतिदिन लगता रहेगा।

समिति के डॉ राकेश गुप्ता ने चर्चा में बताया कि ध्वनि एवं वायु प्रदूषण से लोग गंभीर और कभी-कभी स्थाई रूप से रूप से प्रभावित हो रहे है, ऐसे भी बच्चे और बुजुर्ग आ रहे है जो कि ध्वनि प्रदूषण से हुए नुकसान के कारण अब जीवन भर नहीं सुन पाएंगे। ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण से हार्ट और फेफड़ों और गंभीर किस्म के तनाव मानसिक बीमारियों के मरीजो की संख्या बढ़ रही है।

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