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स्टालिन का लौंडा वोटों के ध्रुवीकरण के चक्कर में हिन्दुओं को एक कैसे कर रहा है?

-अजीत भारती की कलम से-

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Positive India:Ajeet Bharti:
स्टालिन का लौंडा हो, या सर्पदोष की पूजा करवा कर बेटे का बाप बनने वाला प्रकाश राज खड़गे का लौंडा, ये सब जब सनातन के समूल नाश की बात कर रहे होते हैं, तो वस्तुतः अपने वोटों के ध्रुवीकरण के चक्कर में हिन्दुओं को एक ही कर रहे होते हैं।

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इंडी गठबंधन के सारे दल जो इन्हें उचित ठहरा रहे हैं, वो भूल रहे हैं कि उत्तर भारत की राजनीति में भाजपा कैम्पेन में उनके एक-एक शब्द को स्मरण कराएगी।

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ऐसे बयानों से कुछ होता नहीं, इन कथनों को मीडिया न दिखाए तो चर्चा भी नहीं होगी। इससे दक्षिण के हिन्दू-हिन्दी-हिन्दुस्तान से घृणा वाले गैंग की पार्टियों के समर्थक प्रसन्न रहते हैं। भाजपा को ट्वीट कर के यह बताने का अवसर प्राप्त होता है कि देखिए हमको गाली दे रहे हैं।

मालवीय जी यह लिख पाते हैं कि घृणा फैलाई जा रही है, फिर वो दिन के बाकी तेरह घटनाओं पर भी ट्वीट करते हैं ताकि कोई पूछे कि इस पर कुछ लिखा, तो बता सकें कि ‘ये तो मैंने तेरह घंटे पहले ट्वीट कर दिया था’।

कुछ महानुभाव कहते हैं, “तुम्हें उदयनिधि के कथन से समस्या है तो केस करो, ट्विटर पर लिखने से क्या होगा?” ऐसे महानुभावों को उत्तर दे कर भाव नहीं देना चाहिए क्योंकि इन्हें पार्टी बनाम पार्टी और व्यक्ति बनाम पार्टी में अंतर नहीं दिखता।

राजनैतिक कारणों से और सुप्रीम कोर्ट के आँखों पर बँधी पट्टी के कारण हेटस्पीच केवल एक ही धर्म का अपमान करने वाले पर अप्लाय नहीं होता। ये चुनावों के निकट आते-आते और भी विषैला होगा।

साभार:अजीत भारती-(ये लेखक के अपने विचार है)

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