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हाय ! हम क्यों न हुए खुशवंत !

खैर बात यहां हम खुशवंत सिंह की कर रहे हैं। वह खुशवंत सिंह जो खुद को संजय गांधी का पिट्ठू कहता था। पर क्या सचमुच ही वह पिट्ठू था किसी का? मुझे तो लगता है कि खुशवंत सिंह अगर किसी एक का पिट्ठू…

अयोध्या में राम मंदिर में भीड़ अब कभी कम होने वाली क्यों नहीं है?

करोड़ों लोग तो भीड़ कम होने की प्रतीक्षा ही कर रहे हैं । और अभी रामनवमी आने वाली है जो इस बार ऐतिहासिक होगी । रामनवमी की भीड़ में सरयू पर पीपे का पुल मैंने बचपन में टूटते हुए देखा है । आज से…

वामपंथी लेखकों से अब विमर्श करना, दीवार में सिर मारना है

इस्लामिक कट्टरपंथ से , कठमुल्लों से भी ज़्यादा कट्टर वामपंथी लेखक हो चले हैं। बल्कि कट्टरपंथ से भी बड़ा इन का अहंकार होता है। हिमालय से बड़ा अहंकार। तो इन से विमर्श करना सिर्फ़ और सिर्फ़ वक्त…

वैजयन्ती माला- जिन्हें कल ही पद्मविभूषण सम्मान मिला है- कौन हैं?

'मधुमती' में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले कथासूत्र से भी परे, दिलीप कुमार के अभिनय में निहित अवसाद और मधु के व्यक्तित्व में निहित निर्दोष उत्फुल्लता, और उनका निष्ठावान प्रणय, भावना की…

अयोध्या जी के नाम पर टूलकिटिया गैंग ने व्यर्थ की नौटँकीबाजी क्यों शुरू की?

Positive India:Kumar S: अयोध्या जी के नाम पर ब्यर्थ की नौटँकीबाजी शुरू हो गयी है,, कुछ बेवकूफ टाइप के फेसबुकियों को अनर्गल बोलने का मौका मिल गया है,,, जो कि पूर्णतः गलत है।।।। लोग कुछ…

विपक्षियों की रुदन गाथा एक काल्पनिक कथा है जिसका सत्य से…

Positive India:Sarvesh Kumar Tiwari: रुदन गाथा... लंका में रावण युग का अंत हो चुका था। सारे राक्षस मारे जा चुके थे। नगर के अंदर राक्षसियां विलाप कर रही थीं, और बाहर युद्धक्षेत्र में सियार।…