वामपंथी लेखकों से अब विमर्श करना, दीवार में सिर मारना है
इस्लामिक कट्टरपंथ से , कठमुल्लों से भी ज़्यादा कट्टर वामपंथी लेखक हो चले हैं। बल्कि कट्टरपंथ से भी बड़ा इन का अहंकार होता है। हिमालय से बड़ा अहंकार। तो इन से विमर्श करना सिर्फ़ और सिर्फ़ वक्त…