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आचार्य विद्यासागरजी अध्यात्म के साथ ही साहित्य में भी समाभ्यस्त थे।

"मूकमाटी" कृति आचार्य विद्यासागरजी के अंतर्जगत में प्रवेश की कुंजी है! आचार्य विद्यासागरजी ने सल्लेखना की रीति से अन्न-जल का त्याग कर महासमाधि ली थी। उससे पूर्व आचार्य-पद और वाणी का भी…

आचार्य के अवदान से गुलज़ार ज्ञानपीठ

1976 में सात स्वर्ण पदकों और कुलाधिपति स्वर्ण पदक के साथ रामभद्राचार्य जी ने आचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। रामभद्राचार्य भी संस्कृत के बड़े रचनाकार हैं। कवि हैं। अनेक महाकाव्य , खंड…

मूत्र संबंधी समस्या है तो शर्माएं नहीं, इलाज कराएं: डॉ. तुषार दानी

50 वर्ष की उम्र के बाद महिला व पुरुषों में - बार-बार लघुशंका की शिकायतें शुरू हो जाती है। इसके बाद यह बीमारी लगातार बढ़ती जाती है। इसका मुख्य कारण है इंफेक्शन, महिलाओं में मासिक बंद होने के…

त्रिवेणी के विलाप का यह विन्यास

Positive India: Dayanand Pandey: कल हम भी प्रयाग हो आए। गए थे एक पारिवारिक काम से। पर थोड़ा समय मिला तो कुंभ नगरी भी गए। जा कर कुंभ का जायज़ा भी लिया। गए थे संगम नहाने, गंगा नहा कर लौटे।…

गूँगे जानवर भूख-प्यास, तकलीफ़ के पलों में आँखों से सम्प्रेषित करने का क्यों जतन करते…

हर दिन मनुष्य-जाति का पेट बड़ा होता जा रहा है, उसके लालच की भूख बढ़ती जा रही है, और इसकी भरपाई उन जानवरों से की जा रही है, जो सबसे मासूम थे, सबसे भले, सबसे नेक और इसीलिए- सबसे आसान शिकार!