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जब प्रधानमंत्री मोदी ने आंदोलनजीवी उर्फ परजीवियों के मुंह पर लगाई जबरदस्त चमाट

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Image Credit:Facebook
Positive India:Ajit Singh:
उत्तराखंड मे हुई प्राकृतिक आपदा के कारण मन कल से ही खिन्न था………कुछ लिखने का मन बिल्कुल नही हो रहा था…..आखिर हम कब समझेंगे कि प्रकृति से खिलवाड़ करने की कीमत हमे ही चुकानी पड़ेगी………..बहरहाल केंद्र और उत्तराखंड सरकार का आपदा से निपटने का अथक प्रयास और वहां फंसे लोंगों को बचाने की जिजीविषा देखकर जहां मन को शांति मिली…वहीं सन् १३ की आपदा मे फंसे लोगों को बचाने की प्राथमिकता देने की जगह,राहुल गांधी का इंतजार करने वाली कई दिनो से राहत सामग्री लादे खड़ी वो बसें भी याद आ गई…..वहां की तत्कालीन सरकार की अक्षम्य अकर्यमणता के परिणाम स्वरूप काल कवलित हजारो जानो के अंतिम आंसू भी याद आ गये…जिनके परिजन अभी तक उस दुख से न उबर पायें है और शायद अंदर ही अंदर कचोटती तकलीफ उन्हे उबरने देगी….अपनो से बिछड़ने का दर्द सदैव रह रह कर उभरता ही रहता है……….खैर इतनी जल्दी,त्रासदी की विभीषिका से उबर तो नही सकते हैं..उसके लिये समय चाहिये….मेरा मानना है कि जहां से दु:ख मिला,वहीं से दवा भी मिलेगी…..मेरी आत्मिक श्रद्धांजलि जहां मृतात्माओं के साथ है,वहीं मै कामना करता हूं कि आपदा मे घायल भी शीघ्र स्वस्थ हों….!!!

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फिलहाल उपरोक्त विषय प्रकृति जन्य आपदा पर रहा…अब बात की जाय आज राज्यसभा मे मोदी जी के ओजस्वी सम्बोधन की….जिसको सुनकर मन उत्साहित ही नही हुआ…वरन् #आंदोलनजीवी शब्द को सुनने के बाद उसकी वास्तविक परिभाषा को समझने के बाद मुझे लगा कि जहां मोदी ने आंदोलनजीवी कह कर राजनैतिक जीवात्माओं और उनके दम पर पलने वाले चेले चपाटों जैसे उन परजीवियों के मुंह पर जबरदस्त चमाट लगाई है,जो केवल उपद्रव,उत्पात तथा अराजकता फैलाने को राजनीति करना कह कर देश की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार और लोकतंत्र पर पिछले सात साल से लगातार प्रहार कर रहें है……..ऐसे लोगों के कुनबे,कबीले के पिछवाड़े से ही आज चर्र,चर्र वाली चरचराहट सुनाई दे रही है……जिनको रिहाना,मियां खलीफा और ग्रेटा के ट्विट मे मनपसंद सुर सुनाई दे रहे थे….अब खून की खेती करने वाले उसी कुनबे को लताजी,सचिन के राष्ट्रवादी ट्विट पर पिछवाड़े मे छरछराहट महसूस हो रही है…..सोचिये कि राष्ट्रवाद के नाम पर ऐसे लोंगों के गुर्दों मे कितनी सूजन हो जाती है…..!!!

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😌😌एक तो पिछले सात साल से हो रही सनातन राष्ट्रवाद की बारिश मे मदारी फिरंगन की बीन पर नाचने वाले कांगियों,वामियों,जेहादियों और नक्सलियों को समझ मे नही आ रहा है कि उन्हे उल्टियाँ आ रही है या दस्त लग रही है…..!

ऊपर से मोदी विरोध का शंख बजाने की अँधी होड़ मे लगे सफेदपोश बिलौटे..अब बताइये…इनके कपड़े खराब होंगे ही की नही……और इज्जत भी जाना तय ही है…जो रोज जा रही है….!!

फिरंगन नेतृत्व,मंदबुद्धि पूत,मक्कार बेटी और जमीनखोर दामाद के साथ….चापलूसों की भीड़..कुटिल सोच…कपटी मानसिकता….पाखंड भरा देशप्रेम…..हिंदुत्व का ढोंगी चोला…जयचंदो की भरमार….तुष्टीकरण की ढ़पली…मक्कारी भरी राजनीति..विभाजन कारी चाल….सड़कछाप चरित्र….क्रूर चेहरा…..और कितनी विशेषता बताऊं इस दोगले परिवार और उनके चरण चाटुकारों की…..जो मोदी से नफरत मे इतना गिर चुकें हैं कि उन्हे अब देश मे आग लगाने मे भी झिझक नही हो रही है….इस पर भी सपना देख रहे हैं देश की बागडोर सम्भालने का….!!!

बहरहाल मेरे विचार से इनको सत्ता की लगाम देने की जगह इनकी नाक मे अब कानून की नकेल डालने की जरूरत ज्यादा है…..क्योंकि इनके साथ ही देश से परिवारवाद,आतंकवाद,जातिवाद,तुष्टीकरणवाद,नक्सलवाद,माओवाद,लूटवाद और खुजलीवाद की भी विदाई हो जायेगी….!!!

इतिहास की किताबें पलटियें और पढ़िये कि आजादी के पहले जो काम मुस्लिम लीग करती थी….देश मे आज वही काम १३६ साल पुराने होने का घमंड रखने वाला कांगी अस्तबल कर रहा है….!!

—क्या लोकतांत्रिक तरीके से दंभी मैडम मंथरा के लिये चुनाव जीतना संभव नही रह गया ??
–क्या ‘१९४७ की कुटिल मानसिकता की तरह फिर विभाजन किये बिना सत्ता संभव नही लग रही है??
–क्या १३६ साल का घमंड अब मुस्लिम लीग के रूप मे बदल कर शिखंडित्व को प्राप्त हो चुका है??

फिलहाल बालीवुड के कूल डूड हिंदू भक्तों….और I hate politics कहने वाले आधुनिकता की खोल लादे हिंदू बौद्धिक दिव्यांगो…..जरा अपने मुंह पर राष्ट्रप्रेम का छींटा मार कर देखो और गुलाबो चिच्चा के कुनबे के साथ उसके रक्तबीजों की मंशा को समझो…जिनका मंतव्य बस यही है कि किसी भी तरह हमे यानी सनातनियों को जाति,क्षेत्र,भाषा के नाम पर विभाजित करके सत्ता पर कब्जा किया जाय……..और कटपीस कुकुरमुत्तों की सोच है कि उनका रास्ता साफ करने वाले सफाई कर्मी बन चुके वामियों के दम पर भारत को नया इस्लामी मुल्क बनाया जाये….!!

इन सबका का संयुक्त लक्ष्य केवल मां भारती के टुकड़े करना है….!!

फिलहाल…अंत मे बस इतना ही कहूंगा कि सनातन राष्ट्रवाद के विरोधी इन मुंगेरीलालों को अपने दिवास्वप्न से बाहर आकर देखना चाहिये कि इन सात सालों मे गंगा मे बहुत पानी बह चुका है……..राजनीति की नालियों से बहुत गंदगी साफ हो चुकी है…..अब उन्हे देश पर गिद्धदृष्टि डालने से पहले अपना प्राथमिक लक्ष्य सनातन के प्रचंड प्रतिरोध से अपने अस्तित्व की रक्षा करना होना चाहिये…….क्योंकि महाकाल के अधिकांश पुत्र जहां शीतनिद्रा से जाग कर महामानव को अपना बना चुके है….वहीं कुछ अब जागने के पूर्व की अंगडाई ले रहें है….बाकी भविष्य के गर्भ मे है कि जिस दिन सनातन के सभी सपूत जाग कर विरोधियों को मुंहतोड़ उत्तर देने के लिये खड़े हो जायेंगें…….शायद उस दिन नियति को भी सनातन के पराक्रमी इतिहास मे कई नये पृष्ठ जोड़ने पड़ेंगे….!!!

#वन्देमातरम्
#Ajit_Singh
साभार:अजीत सिंह-एफबी(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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