www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

मतदाताओं ने राहुल गांधी के 72000 को क्यो ठेंगा दिखा दिया?

मतदाताओं ने कांग्रेस के सालाना 72000/ रू देने की पेशकश को भी खारिज कर दिया।

Ad 1

Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
जश्न मे कर्तव्य न भूले । पूरे देश ने भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर विश्वास व्यक्त किया है । वहीं उनके सहयोगी दलो पर भी इसी बात की मुहर लगाई है। अब हालात ये है कि इनकी जवाबदेही अब ज्यादा हो गई है । अब कोई भी बहाना देश के नागरिक सुनना पसंद नही करेंगे । लोगो ने इतना विश्वास कर लिया कि राहुल गांधी(Rahul Gandhi) के यूपीए वालों ने सालाना जो 72000/ रू देने की पेशकश की थी उसे भी खारिज कर दिया । पहला ऐसा संसदीय चुनाव है जहाँ लोगो ने अपने आर्थिक लाभ को त्याग कर इस देश मे जनतंत्र और अधिक मजबूत किया है । यह संदेश भी सभी दलो को इस चुनाव के माध्यम से दे दिया है । वहीं जातीय से उपर उठकर भी मतदान हुआ है जिसके कारण गठबंधन को काफी नुकसान हुआ है । ऐसा भी नही की इस पर विजय पूरी हो गई है यह बात अतिशयोक्तिपूर्ण होगी । इनके मठाधीशो के मठ भी ढह गए है। अब इनके चेहरों पर शिकन दिखाई देने लगी है । क्योंकि इनकी राजनीति का आधार यही था । इसी पर आधारित महागठबंधन का जो खौफ दिखाया जा रहा था उसका हश्र ऐसा होगा इसकी कल्पना तक किसी ने नही की थी । जिनका नाम ही काफी था उन्हे भी घर का रास्ता दिखा दिया गया है । लोगो ने षड्यंत्र पूर्वक राजनीति करने वालो की पूरी जमात को ही बाहर का रूख कराकर अपना बदला ले लिया है । इतना विश्वास लोगो ने मोदी जी के नाम से ही किया है । कई लोगो ने तो ये भी नही देखा होगा कि उनका प्रत्याशी कौन है । उनके लिए तो प्रत्याशी मोदी जी ही थे । पूरा चुनाव मोदी जी के इर्द-गिर्द ही घूमा है । जहां (Rahul Gandhi)राहुल गाँधी के जुमले धराशायी हो गए वहीं बीजेपी के उम्मीदवार को अपनी प्रतिभा व योग्यता दिखाने का मौका ही नही मिला । हालात ये हो गये कि नाम ही काफी है,पूरे देश मे इसका ही सिक्का चल गया । पर चुनाव के बाद एक सांसद की जो जिम्मेदारी है उसे उस सांसद को ही निभानी है । अपने संसदीय क्षेत्र की समस्या के तरफ ध्यान आकर्षित करना सांसद का ही काम है । पर ये भी कटु सत्य है कि जीतने के बाद सांसद के दर्शन भी नही होते । वही संसद मे कुछ लोग ही भाग लेते है। कई सांसद अपने सांसद निधि का उपयोग भी नही कर पाते । पिछले सांसदो को मोदी जी ने एक गांव गोद लेकर आदर्श गांव बनाने की बात की थी, पर क्या वहाँ कोई खरा उतरा ? दुर्भाग्य से नहीं ।अगर इनके लिए राजनीति सामाजिक सरोकार से होती, ये लोग इस पर इंटरेस्ट लेते,फिर राजनीति करते, तो बात ही कुछ और होती। हाँ इतना अवश्य है कि सांसद अपने अधिकारो से परिचित रहते है, कर्तव्यो से नहीं,तभी तो हाल ये है कि जीतने के बाद धन्यवाद देने आते है । उसके बाद जब दूसरे बार खड़े होते है तब ही आते है । ये शिकायत आम आदमी को रहती है । मोदी जी को इस पर ही ध्यान देना होगा । क्योंकि किसी के क्षेत्र की समस्या सांसद ही पहुंचाऐगा । तब कहीँ जाकर वो क्षेत्र समस्या मुक्त हो पाऐंगे । वही एक बात और जिस तरह आम आदमी को सब्सिडी छोड़ने की बात करते है तो एक अपील इन सांसदो को भी करनी चाहिए कि देश के विकास के लिए वे भी अपनी सब्सिडी त्यागे । बस अभी इतना ही । हम लोग है इन पर नजर रखने के लिए ।
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचंद्र वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Gatiman Ad Inside News Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.