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पहले चौकीदार चोर है कहा अब माफी मांग ली!!

स्वहित व दलहित मे जो ज्यादा फायदा दे सके उसे अपनाने मे क्या बुराई है ?

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:अब जहां चुनाव अपने अंतिम दौर मे है और आरोप प्रत्यारोप लगाने का सिलसिला चुनाव के समय से ही चालू है । पर जहां भाषा अमर्यादित है इसके बाद मात्र एक जगह बच जाती है जहां से सही गलत का फैसला हो । यह जगह सर्वोच्च न्यायालय है जहां का निर्णय अंतिम होता है । इस चुनाव मे व्यक्तिगत हमले ज्यादा किये गये जो लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है । पर फिर भी स्वहित व दलहित मे जो ज्यादा फायदा दे सके उसे अपनाने मे क्या बुराई है ? प्रायः सभी दल इसी रास्ते से चल रहे थे । न कोई घोषणा पत्र पर चर्चा कर रहा था , न नीतयो पर, पर हमले व्यक्तिगत बनकर रह गये । यही कारण है कि प्रारंभ मे चुनाव आयोग की शिथिलता के कारण सब नेता बेफिक्र थे । जब न्यायालय ने आयोग को उसकी दंड सीमा से अवगत कराया तो आयोग हरकत मे आया । फिर कार्यवाही के तहत नेताओ को ज्यादा से ज्यादा 72 घंटेभर के चुनाव प्रचार से दूर रहने का फरमान आया । वैसे नेताओ ने इसकी भी काट ढूंढ ली । उन्होंने तो सांप भी नही मरा और लाठी भी नही टूटी की तर्ज पर चुनाव प्रचार कर लिया । जो उस प्रचार से भी ज्यादा प्रभावशील रहा । खैर, आयोग के इस फैसले से नेता लोग भी ज्यादा गंभीरता से नही लेते । इसलिए आयोग द्वारा दंडित किये जाने के बाद भी इन नेताओ के व्यवहार मे कोई विशेष फर्क नही पड़ा है । आयोग द्वारा पहली बार कार्यवाही करने के बाद भी कोई सुधार नही आया है । भाषा तो और निम्न स्तर पर पहुंच गई । इन लोगो ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए अपने भाषण मे न्यायालय तक का जिक्र किया । इसके लिए पहले खेद व्यक्त किया गया । उसके बाद भी उनका फिर जिक्र कर जितना राजनीतिक फायदे उठाना था उठा लिया और जाकर माफी मांग लिया । अगर इसमें सजा तय होती तो ये उद्दंडता देखने को नही मिलती । इन्हे मालूम है ज्यादा से ज्यादा न्यायालय उन्हे सजा के तौर पर लिखीत माफी मांगने के लिए ही कहेगा। जब इतनी सी बात है तो कानून के लचीले पन का फायदा उठाने मे क्या बुराई है ? यही कानून जब जवाब देही तय करने लगेगा, उस दिन से ये संयमित व्यवहार मे नजर आऐंगे । अब तो हद हो गई व्यक्तिगत के साथ साथ माता पिता को भी खींच ले आए है । इन नेताओ को कड़ी सजा देकर न्यायालय को नजीर पेश करना चाहिए । इसके सिवाय ये रास्ते मे नही आने वाले है । इन्हे मालूम है कि इनकी इस तरह की निम्न हरकत इन्हे अपनी पार्टी की सियासत को जिंदा रखने के लिए आवश्यक है । इस लिए अब देश की राजनीति मे कोई फर्क आयेगा, ऐसा लगता नही है ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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