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“आप 2029 पर ही अटक गए, मैं 2047 के लिए लगा हुआ हूं।”-मोदी

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
आम चुनाव का ऐलान हो गया है, अगले 5 साल के शासन के लिए। लेकिन दूसरी तरफ यदि किसी देश को सुपर पावर बनना है, तो उसे किसी 5 साल की सीमा से ऊपर उठकर 10 साल, 20 साल अथवा इससे भी अधिक की योजनाएं करनी पड़ती है। भारत की सत्ता में कोई भी राजनीतिक दल रहे, वह अधिकतम 5 साल की योजनाओं पर अपनी निष्ठा लगा सकता है। इन योजनाओं से देश की तात्कालिक ज़रूरतें पूरी हो सकती है, लेकिन देश को जब कोई बड़ा विजन चाहिए तब उसे इन सीमाओं से ऊपर उठना होता है।

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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में मोदी जी मेजबान को जवाब देते हैं कि- आप 2029 पर ही अटक गए, मैं 2047 के लिए लगा हुआ हूं। 5 वर्षीय चुनाव पद्धति वाले संसदीय लोकतंत्र में मोदी जी अगले 25 साल के लिए अपना विजन देश के सामने रख रहे हैं। किसी भी देश की प्रगति में विजन का तय हो जाना उसकी पहली सफलता है। जिस देश में योजना आयोग हुआ करता था और उसका विजन ऑफिशियल रूप से 5 वर्षों का हुआ करता था, अब उसका स्थान नीति आयोग ने ले लिया है। अब जरा इसके विजन की कल्पना कीजिए, 5 वर्ष, 10 वर्ष, 20 वर्ष, 25 वर्ष, नहीं; 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मोदी जी ने कहा था, अमृत काल में लिए गए निर्णय और किए गए कार्य अगले 1000 वर्षों तक प्रभाव डालेंगे।

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चीन हो या रशिया यदि स्वयं को शक्तिशाली बनाने वाले एजेंडे पर, किसी ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहा, जिसे पूरा होने में 5-10 वर्ष से भी अधिक लगेंगे, तो वह इस बात के लिए सक्षम है। क्योंकि वहां सत्ता में स्थापित शक्तियों को अगले 5 वर्ष पर चुनाव की परीक्षा से गुजरना नहीं होता है। अर्थात् ऐसे देश की शक्ति किसी 5 वर्षीय शासन वाले देशों की शक्ति से स्वत: ही आगे है। ऐसे में हमारे देश का कोई नेता सत्ता में अपनी पुनर्वापसी के लिए पूर्ण रूप से आत्मविश्वास लिए हुए हो और खुलकर कह रहा हो, अगले 5 वर्ष के लिए नहीं, अभी तो वह 25 वर्ष की योजनाओं पर काम कर रहा है, इसका अर्थ हुआ कि 5 वर्ष वाली चुनावी लोकतंत्र वाली परीक्षा से गुजरते हुए किसी शक्तिशाली देश की तरह बड़ी-बड़ी अवधियों के प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहा है। यह देश का सौभाग्य है।

पहली बार देश को एक विजनरी प्रधानमंत्री मिला है, जो अपने स्वास्थ्य, अपनी आयु, अपनी सत्ता की अवधि जैसी तमाम चुनौतियों से ऊपर उठकर, देश को ऐसे ऐसे विजन दे रहा जो कि किसी लोकतंत्र विहीन देश में ही सहज संभव है। भारत पांच ट्रिलियन डॉलर जीडीपी वाली अर्थव्यवस्था का लक्ष्य‌ प्राप्त करने का संकल्प ले चुका है और यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। इसके बाद इसकी दिशा‌ 2047 तक विकसित राष्ट्रों की सूची में शामिल होने का है। विकास की यह यात्रा उसी दिन धीमी पड़ जाएगी जिस दिन देश की सत्ता को चलाने वाले सत्ता में हर 5 वर्ष पर अपनी वापसी की चिंता में जूझते मिलेंगे। इसलिए जो दल अपनी चिंता से मुक्त हो सकेगा, उसे ही देश के दीर्घकालिक एजेंडे पर काम करने का अवसर मिल सकेगा।

इस कसौटी पर खड़ा होने वाला आज भारत में मोदी के अलावा और कोई दूसरे नेता नहीं है। क्योंकि ऐसे नेताओं की वापसी के लिए चिंता की जिम्मेवारी देश की जनता अपने माथे पर उठा लेती है। यही नेता में आत्मविश्वास पैदा करता है। आज एक नेता के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी का और आम जनता के बीच का जो तालमेल है, वही इस देश की दशा और दिशा की नई-नई इबारत लिख रहा है। जहां चुनाव लोकतंत्र की सुंदरता बन गया है, और सत्ता जैसे आम जनता की चेतना। इस चेतना को नेतृत्व देने वाले नेता नरेंद्र मोदी को हमारी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। उनके 400 प्लस के लक्ष्य को यह देश अवश्य हासिल करेगा।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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