www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

मोदी और योगी। एक का भाव दिगम्बर तो दूसरे का आचरण दिगम्बर

Ad 1

Positive India:Raipur-सुजीत तिवारी:
सामवेद में दो तरह के श्लोक है। अरण्य के श्लोक और ग्राम के श्लोक। अरण्य जहां नियम नहीं होते, ग्राम जहाँ नियम होते हैं। अरण्य जहाँ पशु रहते हैं, ग्राम जहाँ मानव रहते हैं। राम यज्ञ से पैदा हुए थे, आकाश पुत्र थे। उनकी पत्नी सीता भूमि से पैदा हुई थी, भूमिजा थी, वन्य कन्या थी। राम सारी उम्र अरण्य के पशुओं और ग्राम के मानवों को मैनेज करने में लगे रहे, पशुओं को इंसान बनाते रहे। राम ग्राम वासी भी थे और वनवासी भी। वन में शिव रहते है जो दिगंबर हैं। शिव देह पर भभूत लगाए बैठे है, दिगम्बर हैं। देह पर भभूत लगाने का अर्थ है देह को ही त्याग देना। राम शिव भक्त भी है इसलिए राम के फैसलो में, भाव में दिगम्बर परम्परा दिखती है। माँ के कहने पर राज्य त्याग दिया, आभूषण त्याग दिए, मुकुट त्याग दिया। धोबी के कहने पर रानी सीता त्याग दी। जीवन पर्यन्त नियमों का पालन करते रहे, नियम सही हो या गलत उन्हें पालन करना ही था।

Gatiman Ad Inside News Ad

इसके विपरीत कृष्ण कभी किसी बंधन में नहीं रहे। उनके ऊपर परिवार का सबसे बड़ा बेटा होने का भार नहीं था। वो सबसे छोटे थे इसलिए स्वतंत्र थे और चंचल भी। मर्यादा का भार नहीं था उनपर। उन्होंने अरण्य और ग्राम में बैलेंस साधने की कोशिश कभी नहीं की। उन्होंने वन को ही मधुवन बना लिया। वो राजा नहीं थे,न ही राजा बन सकते थे इसलिए गलत नियम मानने को बाध्य नहीं थे कृष्ण। उन्होंने नियमों को नहीं माना। राम वचन के पक्के थे, उन्होने अयोध्या वासियों को वचन दिया था कि चौदह वर्ष बाद लौट आऊँगा। समय से पहुँचने के लिए उन्होंने पुष्पक विमान का उपयोग किया। कृष्ण ने गोपियों को वचन दिया था, मथुरा से लौट कर जरुर आऊँगा, वो कभी नहीं लौटे। राम ने गलत सही हर नियम माना, कृष्ण ने गलत नियम तोड़े। राम के राज्य में एक मामूली व्यक्ति रानी पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नियम के तहत गॉसिप कर सकता था मगर कृष्ण को शिशुपाल भी सौ से ज्यादा गाली नहीं दे सकते थे। राम मदद तभी करते है जब आप खुद लड़ो। वो पीछे से मदद करेंगे। सुग्रीव को दो बार बाली से पिटना पड़ा तब राम ने वाण चलाया। कृष्ण स्वयं सारथी बन के आगे बैठते हैं।

Naryana Health Ad

नरेंद्र मोदी को देखिए। वो भी त्यागने की बात करते हैं। पुराने नोट त्याग दो, दो नम्बर का पैसा त्याग दो, गैस सब्सिडी त्याग दो। उनके सारे फैसले राज-धर्म, संविधान के अनुरूप ही होते है, भले ही संविधान का वो नियम सही हो या गलत। मोदी हमेशा अरण्य और ग्राम में बैलेंस साधने की कोशिश करते हैं। सबका साथ सबका विकास। वो पशुओं को मानव बनाने का प्रयास करते हैं। अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम अपना पराया कोई भी उन्हें 24 घण्टे गाली दे सकता हैं। दिगम्बर भाव है, सब त्याग बैठे है, अपमान सम्मान सब। आपकी गालियों से उन्हें ताकत मिलती है। विरोध के अधिकार के नाम पर आप उनकी नाक के नीचे सड़क जाम कर महीनों बैठ सकते हैं। वो देश के बड़े बेटे है, नियम अनुरूप ही आचरण करेंगे। भेदभाव करते हुए नहीं दिख सकते।

वहीं योगी आदित्यनाथ को देखिए। उसी अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर एक उन्हें एक गाली दे दीजिए, 24 घण्टे के अंदर आप पर मुकदमा होगा औऱ 48 घण्टे में जेल में होंगे। कनिका कपूर मुंबई, दिल्ली, लखनऊ कानपुर गई। कहीं मुकदमा दर्ज नहीं हुआ उस पर सिवाय यूपी के। आपिये दिन रात फ़र्ज़ी खबरें शेयर करते है मोदी के अगेंस्ट। मोदी रिस्पॉन्स नहीं देते। योगी आदित्यनाथ पर एक फ़र्ज़ी ट्वीट में ही राघव चड्ढा पर मुकदमा दर्ज हो जाता है। जिस विरोध के अधिकार के तहत दिल्ली में सौ दिन से ज्यादा प्रदर्शन होता रहा, उन्हीं नियमों के तहत यूपी में एक भी प्रदर्शन नहीं चल पाया। राजनीति का नियम है कि सरकार बदलने पर बदला नहीं लिया जाता। योगी जी ने आज़म खान के पूरे परिवार को जेल में सड़ा दिया। मोदी का भाव दिगम्बर है योगी का आचरण दिगम्बर है। मोदी तब मदद करेंगे जब आप खुद लड़ोगे। योगी शंखनाद होते ही रथ की लगाम थाम लेते हैं।

तेलगू फ़िल्म गब्बर सिंह का एक डायलॉग है, “I don’t follow a trend, I set new trends.” मोदी ट्रेंड फॉलो करते है, योगी ट्रेंड सेट करते हैं, क्रिएट करते हैं। यू हैव राम इन त्रेता, यू हैव कृष्ण इन द्वापर। यू हैव बोथ इन कलयुग।।

Coutesy: सुजीत तिवारी की वाल से।
Zoya की कलम से

Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.