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मन्नू भंडारी ने लिखा कि राजेंद्र यादव किसी के साथ छ्लात्कार तो कर सकते हैं , बलात्कार नहीं

- दयानंद पांडेय की कलम से-

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Positive India:Dayanand Pandey:
एक बार किसी ने राजेंद्र यादव द्वारा बलात्कार की चर्चा की तो मन्नू भंडारी ने लिखा कि राजेंद्र यादव किसी के साथ छ्लात्कार तो कर सकते हैं , बलात्कार नहीं । और बात खत्म हो गई थी । सच यह है कि राजेंद्र यादव छ्लात्कार में बहुत निपुण थे । तमाम स्त्रियों के साथ उन्हों ने छल किया । अपनी व्याहता मन्नू भंडारी के साथ बेशुमार छल । असल में मोहन राकेश के नेतृत्व वाली यह तिकड़ी अपने स्त्री प्रसंगों के लिए बहुत ज्यादा जानी गई । मोहन राकेश , कमलेश्वर , राजेंद्र यादव । मोहन राकेश ने तो चार विवाह किए । मोहन राकेश की चौथी पत्नी अनीता औलक जो मोहन राकेश से विवाह के बाद अनीता राकेश हो गई थीं , ने मोहन राकेश पर संस्मरण के बहाने अपनी कथा कहिए , आत्मकथा कहिए लिखी है , चंद सतरें और । चंद सतरें और में अनीता राकेश ने पर्याप्त संकेत दिए हैं कि उन की मां भी मोहन राकेश पर आसक्त थीं । और कि उन से सौतिया डाह रखते हुए उन्हें बहुत मारती-पीटती थीं । उन्हों ने लिखा है कि उन की मां से मिलने और भी लेखक आते थे । पहले जैनेंद्र कुमार आते थे । फिर अज्ञेय भी आए । मोहन राकेश भी ।

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अनीता की मां चंद्रा औलक भी लेखिका थीं । मोहन राकेश से अनीता औलक भी प्रेम में पड़ गईं । मोहन राकेश ने भी उन्हें निराश नहीं किया । अनीता की मां द्वारा आए दिन की पिटाई कहिए या मोहन राकेश से उन के प्यार की प्रगाढ़ता अनीता अंततः घर छोड़ कर मोहन राकेश के साथ मुम्बई भाग गईं । दिल्ली से भगाने में कमलेश्वर ने मदद की । एयरपोर्ट तक पहुंचाया। मुम्बई में राजेंद्र सिंह बेदी ने होटल वगैरह की व्यवस्था की । लंबी कथा है । अनीता उस समय बी ए में पढ़ती थीं । इस का लंबा विवरण बहुत ही रोमांचक ढंग से अनीता जी ने चंद सतरें और में लिखा है । बाद के दिनों में कमलेश्वर ने भी इस बाबत अपने संस्मरण में लिखा । कमलेश्वर का यह संस्मरण एक समय संडे मेल में धारावाहिक रूप से छपा था ।

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एक बार क्या हुआ कि लखनऊ से एक पत्रकार दिल्ली गए । यू पी भवन में ठहरे । शराब पी कर उन्हों ने कमलेश्वर को फोन किया कि और पूरा मजा लेते हुए बोले कि सुना है आप लड़की भगाने में बड़े एक्सपर्ट हैं । तो हमारे लिए भी एक लड़की भगा दीजिए । कमलेश्वर ने भी मजा लिया और पूछा कि अपना अता-पता दीजिए , आता हूं । अब पत्रकार को फिर शरारत सूझी । यू पी भवन में उस समय पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक माफ़िया हरिशंकर तिवारी भी ठहरे हुए थे । बतौर विधायक । पत्रकार ने तिवारी के कमरे का नंबर बता दिया । कमलेश्वर आए भी यू पी भवन । पुलिस ले कर आए । उस आदमी को सबक सिखाने । तिवारी से मिले भी । तिवारी को वाकया बताया । तिवारी ने विनम्रता से बताया कि क्या इस उम्र में मुझे यही काम रह गया है ? कुछ और आरोप लगाते आप तो एक बार सुनता भी । आप के साथ किसी ने मजाक कर दिया है । कमलेश्वर चुप रह गए और चले गए ।

इस पूरी कथा की बड़ी परिणति यह थी कि तीन विवाह भले असफल रहे मोहन राकेश के पर अनीता से उन का यह विवाह सफल रहा था । अलग बात है कि दो बच्चे पैदा कर मोहन राकेश दुनिया से विदा हो गए । कुछ समय बाद अनीता राकेश ने भी दूसरा विवाह कर लिया । मोहन राकेश जितने शानदार लेखक हैं , उन की जिंदगी के पन्ने भी उतने अंतर्विरोधी । अंधेरे बंद कमरे , आधे अधूरे , अंतराल और आषाढ़ का एक दिन में उन का जीवन और उस का संत्रास भी खूब दीखता है । बाक़ी रचनाओं में भी । मन्नू भंडारी लिखित आप का बंटी जिस भी किसी ने पढ़ा है , उसे जान लेना चाहिए कि वह बंटी मोहन राकेश की ही जिंदगी पर आधारित है ।

मोहन राकेश मंडली के कमलेश्वर की ज़िन्दगी के पन्ने भी औरतबाजी से रंगे पड़े हैं और राजेंद्र यादव के भी । तय कर पाना मुश्किल है कि कमलेश्वर बड़े औरतबाज कि राजेंद्र यादव । दोनों ही ने अपनी औरतबाजी को छुपाया नहीं है । कमलेश्वर ने दो, तीन मामले छुपाए ज़रूर जिन्हें मन्नू भंडारी ने लिख कर बेपर्दा कर दिया। बताया कि उन औरतों से कमलेश्वर के बच्चे भी हैं ।

साभार:दयानंद पांडेय-(ये लेखक के अपने विचार है)

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