www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

कितनी भी परेशानी कोई गिनालें, महानगर छोड़ हम नहीं जाने वाले।

-सुनील पांडे की कलम से-

Ad 1

Positive India:Sunil Pandey:
गांव से शहर आए, हम ग्राम वाले
जिंदगी है अब महानगर के हवाले।
आंखों ने इतने सतरंगी सपने पाले
अंतरंगी क्षण को वक्त कब निकाले।
पैसा हाथ का मैल, कितना ही बतालें
कोल्हू का बैल, जरा जीकर दिखालें।
मां ने बच्चे से मोह कम कर डाले
आंचल छुड़ा काम पे हैं जाने वाले।
गले से गले कितना भी हम लगालें
रूह से रूह मगर नहीं मिलने वाले।
तंग कमरे,अंगड़ाई में हाथ फैलालें
मरें तो चार कंधे मुश्किल से निकालें।
कितनी भी परेशानी कोई गिनालें
महानगर छोड़ हम नहीं जाने वाले।

Gatiman Ad Inside News Ad

लेखक:कवि सुनील पांडे

Naryana Health Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.