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कोरोना वारियर्स चिकित्सकों को ग्रैंड सेल्यूट

Grand Salute to Doctors as Corona Warriors.

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आज मैं अपने सभी कोरोना वारियर्स ‘चिकित्सको” के लिए लिख रहा हूँ । पहले वरिष्ठ लोगों को प्रणाम, बाकी को नमस्कार, सतश्री अकाल, असलाम वालेकम । वैसे चिकित्सकों(Doctors) का एक ही धर्म होता है चिकित्सा । आज आप लोग किस हालात मे काम कर रहे है, यह सिर्फ आपके ही समुदाय को पता है । बाकी लोगों को इसका अहसास नहीं है । आज ऐसी दुविधा में है कि कोरोना की लटकती तलवार के बीच में आपको काम करना, आपकी मजबूरी है । जिस सोशल डिस्टेंसिंग(Social Distancing) की सलाह, जो आप दुनिया वालो को देते है, पर आपके साथ यह चिकित्सीय बाध्यता है, आप अपने ही निर्देष का पालन करने मे असमर्थ है । मैं कोशिश करूंगा यह समझने की, कि हर विशेषज्ञता पर विशेषज्ञ ही कैसे बाध्य होता है ।

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सबसे पहले सोशल डिस्टेंसिंग की दूरी कम से कम दो मीटर या छै गज होनी चाहिए । पर चिकित्सक का सबसे बड़ा शस्त्र सिर्फ एक फीट से ज्यादा का नहीं रहता । आला या Stethoscope की लंबाई से हर कोई परिचित है । किसी भी मरीजो को इतनी दूरी से जांच पड़ताल कैसे संभव है ? अगर आप पूछकर या लक्षणों से तय करने की तरफ बढते है तो मरीजो को भी संतुष्टि नहीं मिलती । दूसरा सबसे ज्यादा उपयोगी इंसटरयूमेंटस ब्लड प्रेशर मशीन है । उसके साथ भी यही दिक्कत है । कैसे किसी मरीज का ब्लड प्रेशर पता चलेगा । आप कितनी भी एहतियात बरत लो, पर संक्रमण कैसे, कब हो जाए कहना मुश्किल है ।

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जिन कोरोना वारियर्स(Corona Warriors) चिकित्सकों ने कोविड में काम किया, क्या उनहोंने सुरक्षा नहीं ली होगी ? चलो पुनः विषय पर चिकित्सा के हर अंग मे चिकित्सक को मरीजों को दूर से तो देखना संभव ही नहीं है । एक जनरल फिजीशियन, शिशु रोग विशेषज्ञ, मेडीसिन विशेषज्ञ करीब करीब एक हालात में ही काम करते है । ज्यादा से ज्यादा मात्र एक फीट की दूरी पर ।

वहीं ईएनटी वाले तो और मुश्किलात मे काम करते है । मरीजो को नाक कान गला कुछ भी देखना हो तो पास से ही देखना पडता है । यही स्थिति कमोबेश नेत्र चिकित्सको को ही होती हैं । इनके साथ भी दिक्कत है चाहे नंबर देना हो या आंखो की कोई समस्या हो, जब तक मरीजो के पास जाऐंगे नहीं तब तक ये कुछ भी नही कर सकते ।

पैथालॉजी मे कोरोना का स्वाब के लिए जो सैंपल लिया जाता है करीब करीब सभी को पता है; कितना कठिन काम है, वो करने वाला ही जानता है । यही कारण है कि इस समय भी जिन लोगों ने यह काम किया है वो लोग दुर्भाग्य से संक्रमित भी हुए है । य इनके हर सैंपल मे, जांच-पड़ताल मे खतरा मंडराते ही रहता है । यही परेशानी करीब करीब रेडियोलाजिसट के चिकित्सकों को भी रहती है । शल्य चिकित्सा के चिकित्सकों के साथ भी यही दिक्कत है कि सर्जरी करते समय इस लक्ष्मण रेखा को लांघना ही पड़ता है ।

अभी कोरोना काल मे हर समय, समाचार पत्रों की सुर्खियों में, कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं के, प्रसव में भी नवजात शिशुओं को भी कोरोना प्रभावित के समाचार आये है ।

हमारे स्त्री रोग विशेषज्ञों ने कितने साहस के साथ अपने कर्तव्यो को निभाया है । एक और चिकित्सक, वो है दंत चिकित्सकों का समुदाय, जिसे दांत का कोई भी काम उसके बगैर झुके नही होता; वो अपने को खतरे में ही रखकर यह काम करते है ।

पर क्या यह समाज कोरोना वारियर्स के रूप में आपके सेवाओं का मूल्यांकन सेवा के रूप में करता है ? पर मेरे को ऐसा लगता है कि समाज, इस रूप में नहीं ले रहा है । करीब करीब यह प्रोफेशन पूर्ण रूप से व्यवसायिक हो गया है । हो सकता है कि आप मेरे से सहमत न हो। जब आप पूर्ण रूप से निःशुल्क न हो जाए; तब तक समाज सेवा मे न आ पाएंगे । इसके बाद भी मेरे तरफ से हर चिकित्सक को इस संक्रमण काल मे अपने कर्तव्यो को अंजाम देने के लिए साधुवाद।

आपके कर्तव्यो को, आपके साहस को नमन । एक दिन जरूर आयेगा कि हमारे इस काम को भी समाज व लोग समझेंगे । अपने काम को प्राथमिकता देकर करे, यही मांग आज इस देश की है । यही कारण है कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या पश्चिमी देशों से भी अच्छी है । जो हमारे चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ का संयुक्त प्रयास है । वहीं सरकार भी इस मामले में बधाई की पात्र है । मेरा शासन से अनुरोध है कि कोविड 19 के समय चिकित्सको को सम्मानित कर प्रशस्ति पत्र देकर उसकी सेवाओ का आदर करे । फिर से एक बार सभी कोरोना वारियर्स चिकित्सको को नमन। बस इतना ही
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर

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