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एक आखिरी चाय : गजेंद्र साहू
पॉजिटिव इंडिया :रायपुर;
रश्मि और भावेश स्टेशन पहुँच चुके थे। आज रश्मि हमेशा के लिए शहर छोड़कर जा रही थी। रश्मि और भावेश 5 साल से साथ थे ग्रैजूएशन और पीजी किए , साथ में पढ़े-घूमे ,…
मशहूर बंगाली लेखक बुद्धदेव गुहा का निधन
पॉजिटिव इंडिया: कोलकाता, 31 अगस्त 2021
जाने-माने बंगाली लेखक बुद्धदेव गुहा का कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने के बाद हुई समस्याओं के कारण रविवार को निधन हो गया। वह 85 साल के थे।
लेखक के…
छत्तीसगढ़ को अपने कलम से गढ़ने को तैयार एक युवा साहित्यकार
गजेंद्र साहू छत्तीसगढ़ी भाषा के उत्थान व उसे सविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराने के पहल में अपना सर्वस्व योगदान देना चाहते है। उनकी बहुत जल्द छत्तीसगढ़ी भाषा में कहानी संग्रह ‘अँजोरी पाख’…
जीत के बाद बंगाल को हिंसा में झोंकती ममता बनर्जी
बस्तियाँ जलने लगीं हैं शाम से,
रहनुमा को फिक्र है आराम की।
क्या वाकई कोरोना ईश्वरीय अवतार है?
आज कोरोना वायरस उन जानवरों के लिए, ईश्वर के अवतार से कम नहीं है ।
एक कोरोना ने तुम्हें तुम्हारी (स्थिति) औकात बता दी । घर में घुस के मारा है तुम्हें । और मार रहा है।
जब से इस वायरस ने…
योग्यता पिट जाती है आरक्षण तोड़ता बहुत है
जातियों का भस्मासुर अब बड़ी गांठ हो गई,
राजनीति का रेगिस्तान अब तोड़ता बहुत है।
विवाहेतर प्रेमियों की कोई पहचान नहीं होती
लोक-लाज की चादर में लजाए
यह प्रेमी रोज चार ताजमहल बनाते हैं
रोज दस ताजमहल तोड़ देते हैं
जो बना लिए होते हैं वह भी
जो नहीं बना पाए होते हैं वह भी
इतनी मायूस होली पुनः कभी न मिले
जल गई होलिका ये भरम है बड़ा,
मोड़ पर ही मिलेगा दुशासन खड़ा।
अब फागुन के दिन हैं सताने लगे हैं
जैसे लतीफा हूं कोई मेरे क़िस्से सुना कर
वह अब दुनिया जहान को हंसाने लगे हैं
हुए हैं राम अब विस्मृत, लगा लक्ष्मण पे पहरा है
कहीं कोने में दुबकी हैं कलाएं पृष्ठ काले हैं,
अभी काँटों की है चर्चा समय उसका सुनहरा है।