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कश्मीरी हिंदुओं का पलायन, इस्लामीकरण तथा केजरीवाल की नई तरह की राजनीति का विश्लेषण

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
वो वक्त दूर नहीं जब कश्मीरी हिंदुओं को लेकर नई तरह की राजनीति करी जाएगी। जैसे कभी किसान सरकार के खिलाफ एक उपकरण हुआ करते थे, वैसे ही कश्मीरी हिंदू अब सरकार के खिलाफ एक उपकरण बनने को पूरी तरह परिपक्व हो चुका है।

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मैं पहले भी कश्मीरी हिंदुओं, जो आजकल वहां आंदोलन कर रहे हैं या नौकरी छोड़कर पलायन कर रहे हैं, के लिए फटकार लगाने वाली पोस्ट लिख चुका हूं। लेकिन अब मैं बड़ी स्पष्टता के साथ कहना चाहता हूं अब मैं इन लोगों का मुखर विरोध करूंगा, यदि जैसा मैं सोच रहा हूं परिस्थिति बनी तो।

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राहुल भट्ट की जब से हत्या हुई है राहुल भट्ट के परिवार वालों ने सीधे-सीधे मोदी जी को राजनीतिक गाली तक दिया। जैसे कि राहुल भट्ट की हत्या का इकलौता जिम्मेवार नरेंद्र मोदी हों। उसके बाद राहुल भट्ट को लेकर सरकार के खिलाफ आंदोलन की एक नई परिपाटी शुरू की गई। वे वहां से अब सुरक्षित पलायन हो जाएंगे। इसके बाद क्या होगा? ’90 के जैसे कश्मीरी पंडितों की तरह सरकार के फेंके हुए टुकड़े पर गुजर बसर नहीं करेंगे। बल्कि वे लोग दिल्ली के जंतर मंतर जैसी जगहों पर आकर अरविंद केजरीवाल जैसे नेताओं के राजनीतिक उपकरण बनेंगे और सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।

अरविंद केजरीवाल ने इस ओर अपना राजनीतिकरण शुरू कर दिया है। शुक्रवार को अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को घेरना प्रारंभ कर दिया है। केजरीवाल ने इस्लामिक जिहाद के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला, लेकिन केंद्र सरकार से अवश्य सवाल किया कि कश्मीरी हिंदुओं को बसाने के बजाय उन्हें गुजारा क्यों जा रहा?

आश्चर्य की बात है कि केजरीवाल के बयान के कल होकर ही शनिवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर एक दिन का अनशन भी हुआ। कश्मीरी नागरिक समाज संगठन के नाम पर बकायदा बैनर के साथ कुछ लोगों ने जंतर-मंतर पर अनशन करके केंद्र सरकार से क्या मांग किया? पहला यही कि कश्मीरी हिंदुओं का वहां से सुरक्षित पलायन कराया जाए। दूसरा यह कि कश्मीर में इस्लामीकरण को रोका जाए। दोनों ही मांग अपने आप में अनुचित है। बावजूद इसके केंद्र सरकार ने नौकरी पेशा बहुत से लोगों का ट्रांसफर करा दिया है। दूसरा, इस्लामीकरण को सरकार कैसे रोक सकती है? सरकार बस इतना कर सकती है कि जिसने हथियार उठाकर आतंकवादी घटना को अंजाम दिया है, उस आतंकवादी को जल्द से जल्द मार गिराएगी।

राहुल भट्ट की हत्या के कल परसों होकर ही सरकार ने इस घटना को अंजाम देने वाले सभी आतंकवादियों को मार गिराया। लेकिन अब आम नागरिक हथियार उठा ले रहा तो सरकार क्या करेगी? आतंकवादी सिद्ध होने के पश्चात ही न्यूट्रलाइज करेगी ना? कश्मीर का बस एक ही हल है कि वहां के आम जिहादी नागरिक हथियार ना उठाएं। लेकिन क्या यह सरकार से संभव है? अथवा घाटी के ही दूसरे समुदाय के लोग काउंटर में हथियार उठाएंगे तब संभव है? सोचना पड़ेग।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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