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ट्रैवल एडवाइजरी को नज़रअंदाज कर आमिर खान बने तुर्की के मेहमान

Boycott Bollywood for its Anti India stance.

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Amir was the guest of enemy Turkey-run by dictator Erdogan.
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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
पिछले कुछ समय से बालीवुड के बायकाट का सोशल मीडिया में खूब चल रहा है । वहीं सुशांत सिंह राजपूत के केस ने इसमें और हवा दे दी है । और अब आमिर खान ने तुर्की का मेहमान बन कर आग में घी डाल दिया। पर यह माहौल अचानक बना, ऐसा नहीं है । कुछ सालो से एक साजिश पूर्वक इस पर काफी लंबे समय से काम हो रहा था । लोगों नजर अंदाज कर रहे थे । बालीवुड मे हिंदुओं के धर्म का जमकर मजाक उड़ाया गया । सहिष्णुता ने हमे बांधे रखा । पर कुछ सालों से जब पीड़ित होने का एक तरह से षडयंत्र रचा गया और देश को बदनाम करने की साजिश रची गयी, तब लोगों मे एक असंतोष ने जन्म लिया । यह महसूस होने लगा कि हमसे ही कमाते है और हमे ही बदनाम करते हैं। तो लोगों मे जागरूकता पैदा होनी शुरू हुई । लोगों ने पहले जाने दो वाला ही रूख अपनाया। चलो छोड़ो, पर इन लोगों ने इसे हमारी कमजोरी ही समझ ली।

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बॉलीवुड(Bollywood) के जाने माने एक्टर, डायरेक्टर तथा निर्माताओं ने हिन्दू धर्म, हिंदू देवी देवताओं का उपहास उड़ाने का कोई मौका अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहते थे । फिर उस समय, इनके मुताबिक धर्मनिरपेक्ष सरकार ने इनके हौसले और बुलंद कर रखे हुए थे । इन लोगों को सम्मानित भी किया जाने लगा । सरकारी अलंकार से विभूषित व्यक्ति जब रैस्टोरेंट में किसी बात को लेकर हाथापाई करते देश को दिखे, या प्रतिबंधित हिरण का शिकार करते दिखाई दे, तो कैसे पृष्ठ भूमि वालो को अलंकारों की रेवड़ी बांटी गई, पूरे देश ने देखा । आज भारत देख रहा है कि आमिर खान(Amir Khan) किस प्रकार तुर्की की प्रथम महिला के मेहमान बने। यह वही तुर्की है जिसका डिक्टेटर तैयब अरदोगान(Erdogan) है जिसने भारत को बदनाम करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा है। यह हमारा नया दुश्मन बना है । इसी के चलते भारत ने तुर्की(Turkey) जाने वाले भारतीय लोगों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी(Travel Advisory) जारी की है। एक तरफ तुर्की भारत से दुश्मनी निभा रहा है तो दूसरी तरफ भारतीय कलाकार आमिर खान उनके मेहमान बन कर चाय की चुस्कियां लेते हैं।

सहिष्णु सरकार की तरफ से पूरी तरह से वरदहस्त था “जो करना है करो” । यही कारण है कि उस समय पाकिस्तानी कलाकारों, खिलाड़ियों ने भी मौके का फायदा उठाने मे कोई कसर नही रखी । पैसा यहां कमाओ और पाकिस्तान पहुचकर भारत को गाली दो । कुछ कलाकार तो मनीलांडरिंग जैसे मामलों मे भी फंसे हुए हैं । उसमें तो एक विख्यात गायक का भी नाम है ।

यही हाल आईपीएल(IPL) खेलों और यहां से मोटी रकम कमा कर ले जाने वाले क्रिकेट खिलाड़ियों का था । इन्होंने भी वहीं किया जो पाक कलाकार कर रहे थे । पैसा यहां बनाओं और धर्म निरपेक्षता का पाठ पढाते हुए भारत और भारतीयों को जमकर कोसों-यही इनका मूल मंत्र बन गया था ।

सन 2014 के बाद से इन लोगों की परेशानी बढ़ने लगी । जो लोग इनके गैर कामों का विरोध करते थे उन्हे नक्कार खाने मे बदल दिया जाता था । लोग अब खुलकर अपने वाणी को मुखर करने लगे । इनके दोगलेपन को उजागर करने लगे, जो धर्मनिरपेक्षता के नाम से अब तक गढ़ा जा रहा था । सबसे पहले पाक के दोहरे मापदंड से किनारा कर लिया गया । पाकिस्तान के क्रिकेट टीम के बहिष्कार का निर्णय लिया गया । इससे पाक का क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ही सकते मे आ गया । बाद में वहां के हालात से दूसरे क्रिकेट टीमों ने भी किनारा कर लिया । आज काफी साल से क्रिकेट मैच ही नहीं हुआ है । अब वहाँ का बोर्ड भी कंगाली के हालात मे है ।

दूसरी मार आईपीएल के क्रिकेट मे वहां के खिलाडियों के बहिष्कार का था । जो पैसा करोड़ों मे वहां के खिलाड़ियों को मिलता था, उसमें बंदिश लग गई । काफी दिनों तक वहां का मीडिया और तथाकथित सेकुलरिस्ट लोग कलाकार और खिलाड़ियों को अलग रखने की बात कर रहे थे। पर भारत के लोगों ने अपना मन बना लिया था ।

फिर यही बात फिल्मी कलाकारों के साथ भी हुई । पूरा बॉलीवुड इन पाकिस्तानियों से खाली हो गया । पाक के धर्म निरपेक्षता के मसीहाओ को काफी तकलीफ हुई, पर यहां भी वहीं रूख अपनाया गया । जब सरकार ने ही बंदिश लगा दी तो फिर चारा ही नहीं बचा ।

मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तानी कलाकारों पर बंदिश लगाने का एक फायदा यह हुआ कि यहां के लोगों को काम मिलने लगा । इसके चलते टीवी मे भी आने वाले कलाकार भी प्रभावित हो गये । पाक टीवी कलाकारों का तो हाल यह था कि एक बार आने के बाद जाने का तक नाम नहीं लेते थे । अदनान सामी कितने दिन रहे, आखिर में नागरिकता ले ली । यही हाल बाकी कलाकारों का भी था । पर तकलीफ यह थी कि पैसा कमाने के बाद भी प्रताड़ित होने का आरोप और धर्म निरपेक्षता का आरोप वो लगाते थे।

यही कारण है कि देश में इनके लिए रोष व्यापत हुआ और बंदिश की मांग हर तरफ से आने लगी । हालात तो उस समय यह थे कि एक तरफ पाक बंदी सरबजीत का पार्थिव शरीर आ रहा था, दूसरे तरफ वहां के कलाकार टीवी मे अपने फूहड़ हास्य से अपना कार्यक्रम दे रहे थे । ऐसे गमगीन हालातों में भी उस समय कैसे हंसने का दुःसाहस करते थे, वे ही लोग जाने । आज पाक के खिलाड़ी हो या कलाकार, अपने किस्मत को अवश्य कोसते होंगे और तथाकथित भारतीय सेकुलरिस्ट अपना सिर धुन रहे होंगे । आगे अब बालीवुड पर आऊंगा क्योंकि आमिर खान पर विश्लेषण करना जरूरी है । बस इतना ही क्रमशः
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर ।

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