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सचिन के ट्वीट पर लिबरल ब्रिगेड में एक बार फिर खलबली क्यों मच गई?

-विशाल झा की कलम से-

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Positive India:Vishal Jha:
सचिन के ट्वीट पर लिबरल ब्रिगेड में एक बार फिर खलबली मच गई है।
मुझे स्वीकार करने में कोई दुख नहीं है कि भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को लेकर मेरे मन में पहले कोई सम्मान नहीं था। इसके वाजिब कारण भी थे। उदाहरण, 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के सैनिकों और आतंकवादियों से मुकाबले में हमारे 527 वीर सैनिक शहीद हो गए थे। युद्ध मई 1999 में ही शुरू हो गया था और ठीक अगले महीने जून में पाकिस्तानियों के साथ इन लोगों ने क्रिकेट खेला। जिस क्रिकेट को राष्ट्र भावना के साथ खेला जाता है, उसी क्रिकेट पिच पर एक आतंकवाद स्पॉन्सर्ड कंट्री को स्थान दिया गया।

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बीसीसीआई तो एक प्राइवेट कंपनी है और क्रिकेट उसके लिए धंधा है। लेकिन सचिन जैसी हस्ती की अपनी कोई सेंस ऑफ ह्यूमर होनी चाहिए ही। क्रिकेट में सचिन को भगवान कहा जाता था। भारत रत्न मिला। लेकिन उन्होंने एक शब्द भी पाकिस्तान के खिलाफ बोलने से मना कर दिया था। भारत में एक बात बड़ी मजबूती से मानी जाती है कि खेल भावना हार-जीत से ऊपर की चीज होती है। इसलिए किसी देश को पिच पर हारने वाली थ्योरी में हम विश्वास नहीं करते है। असल में हम अपनी पिच पर किसी आतंकवादी को जैसे ही स्थान देते हैं, तभी हमारी हार हो जाती है। फिर क्रिकेट में जीत कर हम कैसे जीत गए?

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ऐसी मरी हुई जमीर वाली न जाने कई सिलेब्रिटीज को 2014 के बाद राष्ट्रवाद की संजीवनी ने नया जीवन दिया। ठीक 7 साल बाद देश के नाम पर सचिन तेंदुलकर की पहली ट्वीट 2021 में आई। किसान आंदोलन के समय सचिन ने ट्वीट किया कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भारत अपने आंतरिक मामले को सुलझाने में सक्षम है, इसलिए भारत बाहरी दखल और प्रोपेगेंडा के खिलाफ है। तो लिबरल गिरोह में खलबली मच गई थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस समर्थित सरकार थी जो सचिन के ट्वीट की जांच करने के लिए भी व्याकुल हो चुकी थी। पहली बार तब लिबरल गिरोह को लगा था कि सचिन तेंदुलकर गलत हैं।

सचिन तेंदुलकर जब आतंक स्पॉन्सर्ड कंट्री पाकिस्तान के साथ गले में गले मिलकर क्रिकेट खेल रहे थे, तब वह क्रिकेट के भगवान थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने राष्ट्रीय हित के मुद्दे पर स्टैंड लेना शुरू कर दिया, वामपंथियों को बुरा लगने लगा। केरल में प्रो फिलिस्तीन रैली हुई हमास लीडर को संबोधन के लिए मंच दिया गया और कल एक दिन बाद ही केरल में सीरियल बम ब्लास्ट हुआ। सचिन तेंदुलकर ने इस आतंकी घटना पर दुख जताते हुए ट्वीट किया और इस घटना में जान गंवाने वाले लोग के परिवार के साथ सहानुभूति प्रकट की, तो वामपंथी की माया नगरी में एक बार फिर खलबली मच गया है।

पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि सचिन तेंदुलकर यदि 2014 से पहले किसी आतंकवादी घटना पर दुख जाता देते, इतनी हिम्मत उनमें नहीं थी और उन्हें कांग्रेस सरकार ने जो भारत रत्न दिया वह नागरिक सम्मान भी उन्हें नहीं मिलता। आज वामपंथी बिग्रेड, चीनी मीडिया और कांग्रेस नेताओं को लगता होगा कि उनके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। उन्होंने किसी गलत आदमी को भारत रत्न दे दिया। हालांकि कांग्रेस यदि सचिन को भारत रत्न नहीं भी देती, तो भी मोदी सरकार में उन्हें भारत रत्न मिल ही जाता। लेकिन तब सचिन तेंदुलकर के ऊपर अटैक अलग ही तरीके से किया जाता, कि मोदी सरकार ने सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न देकर अपना कठपुतली बना लिया है।

साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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