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राहुल गांधी ने सैम पित्रोदा के जरिए संपत्ति वितरण का आईडिया क्यों फ्लोट करवाया?

-राजकमल गोस्वामी की कलम से-

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Positive India:Rajkamal Goswami:
जब से देश आज़ाद हुआ है सम्पत्ति का वितरण ही चल रहा है । सन ५१ में ज़मींदारी उन्मूलन अधिनियम लागू हो गया , हज़ारों लाखों एकड़ ज़मीन देखते देखते हरवाहों में बँट गई । राजा महाराजाओं के क़िले और राजमहल तक निकल गए उनके हाथ से । बहुत से ज़मींदार तो ऐसे बेहोश हुए कि फिर होश में ही नहीं आये ।

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ग्रामीण और कृषि भूमि से फ़ुरसत पाकर सरकार शहरी भूमि की हदबंदी पर क़ानून ले आई । चुने हुए शहरों की बड़ी बड़ी कोठियाँ ज़द में आ गईं । शहरी सीलिंग में बड़ी बड़ी लंबी मुकदमेबाजियाँ हुईं । ज़रूरतमंद लोग अपनी बिना सीलिंग वाली ज़मीन भी नहीं बेच पाते थे । नोटिस और परमीशन के खेल बरसों चले फिर सरकार ने शहरी भूमि हदबंदी क़ानून निरस्त कर दिया ।

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जो सरकार किसी भी अचल संपत्ति के अंतरण पर मोटा कैपिटल गेन टैक्स और स्टांप ड्यूटी वसूलती है उसे बहुत सालों से यह अखर रहा है कि लोग उत्तराधिकार में करोड़ों की सम्पत्ति मुफ़्त में बिना कुछ किये धरे पा जाते हैं और सरकार बेचारी हाथ मलती रह जाती है । टैक्स लगाने की गुंजाइश हो और सरकार दोहन न कर पाये यह तो बड़ी लज्जा की बात है । देरसवेर सरकार इसे लागू ज़रूर करेगी । आइडिया तो राहुल गांधी ने फ़्लोट ही कर दिया है ।

पुराने दौर के रईस तो कब के सड़क पर आ चुके हैं । बड़े शहरों की विशालकाय पुरानी कोठियाँ और बंगले उजड़ गये , ज़मीनें सब सीलिंग में चली गईं, बची खुची प्लॉटिंग करके बेच दी वारिसों ने । अपर क्लास से सीधे नीचे लोअर मिडिल में आ गये । सैम पित्रोदा(Sam Pitroda )और राहुल गांधी(Rahul Gandhi )जिस सम्पत्ति वितरण की बात कर रहे हैं उसकी गाज तों नवधनाढ्य वर्ग पर पड़नी है । बड़े बड़े औद्योगिक घराने निशाने पर आयेंगे । अभी सरकार अपनी संपत्तियों का विनिवेश कर रही है , विरासत कर(Inheritance Tax)से यह विनिवेश फिर घूम फिर कर सरकार के ही पास आ जाना है ।

लैंड सीलिंग तो एक बार होनी थी विरासत कर तो पीढ़ी दर पीढ़ी चलना है , अगर ३०% भी टैक्स दर रखी गई तो तीन चार पीढ़ी में सम्पत्ति सरकार की ।

तो विरक्त होकर संसार के भोगों का उपभोग कीजिए । सोना सुनार का शोभा संसार की , घूम फिर कर सोना भी सब सुनार के पास ही जाना है । दुनिया के कई देशों में इनहेरिटेंस टैक्स लागू है और बेल्जियम में तो इसकी दर पचास प्रतिशत तक है ।

ईशावास्यमिदम् सर्वं यत्किंचित जगत्यां जगत
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृध कस्यस्विद्धनम्

साभार:राजकमल गोस्वामी-(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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