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12वीं पास धीरेन्द्र शास्त्री के सामने उच्च कोटि के विद्वान भी लाचार क्यों नजर आते हैं?

-अरूण सिंह की कलम से-

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Positive India:Arun Singh:
धीरेन्द्र शास्त्री(Dhirendra Shashtri)जी के बारे में इसी फेसबुक पटल पर बहुत सारे लोग मिल जाएंगे जो कहते हैं कि शास्त्री जी हाथ की सफाई करते हैं, माइंड रीडिंग करते हैं या उनके कार्यक्रम में भाड़े के लोग आकर फर्जी ड्रामा करते हैं वगैरह वगैरह। हालांकि उन्हें जब धीरेन्द्र शास्त्री का सामना करने की चुनौती दो तो वो कोई जवाब नहीं देते या ब्लॉक करके भाग खड़े होते हैं। ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब अभिसार शर्मा के सिर्फ एक इंटरव्यू ने निर्मल बाबा का पूरा धंधा चौपट कर के रख दिया था। निर्मल बाबा कैसे उस इंटरव्यू में हकलाने लग गए थे मुझे आज भी अच्छे से याद हैं। एक और उदाहरण जादूगर पीसी सरकार का है जिसने सत्य साईं बाबा द्वारा दिखाए जाने वाले चमत्कारों को स्वयं करके दिखा दिया था। पर शास्त्री जी ने भी बड़े बड़े पत्रकारों का सामना किया है, कई बड़े न्यूज चैनल्स पर इंटरव्यू दिया, पर आज तक कोई ऐसा व्यक्ति सामने नहीं आया जो शास्त्री जी को ताल ठोक के चुनौती दे सके, इसके विपरीत शास्त्री जी की लोकप्रियता दिनों दिन सोशल मीडिया पर बढ़ती ही जा रही है जिसका प्रमुख कारण है धीरेन्द्र शास्त्री जी पर लगाए जाने वाले आरोपों का किसी के द्वारा भी साबित न कर पाना। प्रायः धीरेन्द्र शास्त्री जी के विरोध में जो तर्क दिए जाते हैं वो इस प्रकार हैं:

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1: सुहानी शाह भी वो सब कुछ कर सकती जो धीरेन्द्र शास्त्री कर सकते हैं।

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अरे भाई, सुहानी शाह की खुद की लोकप्रियता धीरेन्द्र शास्त्री जी की वजह से बढी है, इससे पहले कोई उसका नाम तक न जानता था। जितनी देर में सुहानी शाह आदमी की आंखों में झांककर 1 या 2 शब्द बता पाती है, उतनी देर में शास्त्री जी आदमी की पूरी कुण्डली खोल के रख देते हैं। किसी व्यक्ति के बारे में कुछ बताने के लिए उस व्यक्ति का शास्त्री जी के सम्मुख होना जरूरी नहीं है। यहां तक कि शास्त्री जी किसी से मिले बिना ही एक बार में कई पर्चे बना कर रख देते हैं और फिर बाद में बुलाए गए व्यक्तियों का वही पर्चा निकलता है जो पहले से लिखा गया है। सुहानी शाह और शास्त्री जी की तुलना करना ठीक उसी प्रकार से है जैसे मारुति अल्टो और फरारी के इंजन में तुलना करना। सुहानी शाह एक सामान्य माइंड रीडर है जो टेलीपैथी का इस्तेमाल करती है, पर टेलीपैथी की भी अपनी सीमाएं हैं। टेलीपैथी के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति के दिमाग में अभी क्या चल रहा है ये आप जान सकते हैं या अपना कोई विचार उसके दिमाग में डाल सकते हैं पर आप किसी का भूतकाल नहीं बता सकते या उसके घर पर घटित घटनाओं का ब्यौरा नहीं दे सकते। शास्त्री जी के द्वारा दिखाए जाने वाले कारनामे सामान्य टेलीपैथी या जादूगरी से कहीं बढ़ कर हैं।

2: शास्त्री जी श्याम मानव की चुनौती से डर कर भाग खड़े हुए थे।

शास्त्री जी स्वयं कह चुके हैं जब उन्हें चुनौती दी गई तब वो व्यस्त शेड्यूल में थे। परंतु जब उन्होंने वापस महाराष्ट्र जा कर अपना दरबार लगाया और श्याम मानव की टीम को खुली चुनौती दी तब कोई उनसे मिलने नहीं गया। दूसरी बात ये कि श्याम मानव ने कंट्रोल्ड एनवायरनमेंट में शास्त्री जी के परीक्षण की बात कही थी अर्थात उनके स्वयं के बनाए सेटअप पर शास्त्री जी को बुलाकर उनकी परीक्षा लेना। पर शास्त्री जी का कहना है उनके पास स्वयं की कोई क्षमता नहीं है, जो भी क्षमता मिलती है वो उनकी गद्दी से मिलती है। अर्थात यदि उनका परीक्षण करना है तो उनके दरबार में जाना होगा, जिसके लिए श्याम मानव की टीम तैयार नहीं हुई। यहां सवाल श्याम मानव की टीम पर भी खड़ा होता है कि क्या उनकी इतनी क्षमता नहीं है कि शास्त्री जी का परीक्षण उनके दरबार में जाकर कर सकें? चलो आप दरबार में नहीं जाना चाहते, न सही। आप ही खुद ऐसा दरबार बना के दिखा दो और वो सब करके दिखा दो जो शास्त्री जी करके दिखाते हैं। यदि शास्त्री जी सारे कारनामे सिर्फ हाथ की सफाई और भाड़े के लोगों के सहयोग से करते हैं तो आपके लिए ऐसा दरबार बनाना कोई मुश्किल काम तो नही। बस जनता के बीच जाकर आपको भी वही सब करके दिखा देना है। पर श्याम मानव की टीम ने एक चुप्पी साध रखी है और दोबारा कभी शास्त्री जी को चुनौती नहीं दी।

3: शास्त्री जी के दरबार में भाड़े के एक्टर आते हैं।

एक कहावत है कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। शास्त्री जी ने अपना दरबार विभिन्न प्रदेशों और शहरों से लेकर विदेश तक में लगाया है। हर जगह इतनी बड़ी संख्या में भाड़े पर फर्जी लोगों को दरबार में लाना और फर्जी बातें कहलवाना व्यवहारिक रूप से संभव तो नहीं है। ऊपर से उनके दरबार में मीडिया कर्मियों, प्रतिष्ठित लोगों से लेकर विदेशी लोगों तक आना हुआ है। हर किसी व्यक्ति पर आप झूठा होने का आरोप वही लगा सकता है को केजरीवाल की तरह स्वयं को ब्रह्मांड का इकलौता ईमानदार मानता हो। ऊपर से इतने सारे भाड़े के लोगों को मैनेज करने के लिए अच्छे खासे फंड और एक एक्सपर्ट टीम की जरूरत पड़ेगी। और उन भाड़े के लोगों या टीम में से किसी ने भी कभी अपना मुंह खोल दिया तो शास्त्री जी की लोकप्रियता एक पल में मिट्टी में मिल जायेगी।

शास्त्री जी के चमत्कारो को छोड़ दिया जाए और उनके व्यक्तित्व के बारे में बात की जाए तो उनमें जो हाजिर जवाबी, वाकपुटता और आत्मविश्वास का जो समावेश देखने को मिलता है, ऐसे गुण यदि हमारे और आपके अंदर आ जाएं तो हम और आप अपने अपने क्षेत्र के सफलतम और प्रसिद्ध व्यक्ति बन जाएं। शास्त्री जी एक ग्रामीण परिवेश से ताल्लुक रखने वाले साधारण शैक्षणिक स्तर वाले व्यक्ति हैं पर रजत शर्मा जैसे वरिष्ठ पत्रकारों का भी जिस आत्मविश्वास के साथ सामना करते हैं वो देखकर यही लगता है कि जितनी उनकी उम्र है उसका दोगुना अनुभव है उनके पास।

शास्त्री जी पर उंगली उठाने वालों में से एक प्रमुख व्यक्ति हैं विज्ञान जगत के केजरीवाल ठकुराय जी। अभी पिछले दिनों अपनी पोस्ट में ज्योतिष विद्या को ठग विद्या बोल रहे थे। अगर ये किसी ज्योतिष को ठग बोलते तो फिर भी स्वीकार्य था, क्योंकि जैसे बहुत से कफन खसोट डॉक्टर्स ने मेडिकल प्रोफेशन को ठगी का माध्यम बना रखा है उसी प्रकार बहुत से फर्जी ज्योतिषियों ने भी ज्योतिष को ठगी का माध्यम बना रखा है। पर इससे न आप मेडिकल साइंस को ठग विद्या कह सकते हैं और न ही ज्योतिष को। यदि आप अपने आप को इतना बड़ा विद्वान मानने लगे हैं कि किसी विद्या को ही ठगविद्या घोषित करने लग जाएं तो मतलब आप को ज्ञान का अजीर्ण हो चुका है और उसी की अपान वायु से आप फेसबुक का वातावरण दूषित कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये कि जब आपको धीरेन्द्र शास्त्री का सामना करने की चुनौती दी जाती है तब आप उपर बताए गए ऊल जलूल तर्क देते हुए ब्लॉक करके भाग खड़े होते हैं परंतु किसी भी हालत में धीरेंद्र शास्त्री का सामना करने के लिए तैयार नहीं होते। शास्त्री जी का सामना करने के नाम पर इन महाशय ने एक अघोषित चुप्पी सी साध रखी है। हालांकि अपनी पोस्ट पर ये खुद दूसरों को चुनौतियां देते हुए नजर आते हैं ऐसा करके दिखाओ तो जानें, वैसा करके दिखाओ तो जानें, मेरे सवालों का जवाब देकर बताओ तो जानें। अरे भाई, नहीं दे सकते आपके सवालों का जवाब, हम सब अपने अपने रोजगार में व्यस्त लोग हैं। हमारा काम नहीं है दिन भर किताबें रटना, पोस्ट लिखना, अपने फॉलोअर्स बढ़ा कर अपनी किताबें बेचना। अभी हम अपने क्षेत्र से जुड़े आपसे सवाल पूछने लग जायेंगे तो आपके दिमाग की भी बत्ती गुल हो जायेगी। पर एक चीज हम कर सकते हैं, वो है आपके और शास्त्री जी के व्यक्तित्व की तुलना। और उस तुलना में 12वी पास धीरेन्द्र शास्त्री जी के सामने आपके जैसे उच्च कोटि के विद्वान भी लाचार नजर आते हैं। चूंकि आप स्वयं को विज्ञान के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करते हैं तो आप जैसे शेख चिल्लियों की वजह से धर्म और आस्था के सामने सम्पूर्ण विज्ञान ही लाचार नजर आता है। जबकि हम जानते हैं कि विज्ञान लाचार नहीं है, विज्ञान भी इस सृष्टि का उसी प्रकार अंग है जैसे कि धर्म और अध्यात्म।

वैसे भी विज्ञान जगत का एक नियम है, यहां सिर्फ थ्योरी देने से काम नहीं चलता, अपनी थ्योरी को प्रूव भी कर के दिखाना होता है। ज्योतिष विद्या या वेद पुराणों के प्रमाणीकरण के लिए हमें आपके लाचार व्यक्ति के सर्टिफिकेशन की आवश्यकता नहीं है। ये बात हम अच्छी तरह से जानते हैं कि आप क्या, आपके जैसे 100 व्यक्ति भी मिलकर धीरेन्द्र शास्त्री का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए अपने ज्ञान की बत्ती बनाइए और आगे क्या करना है….वो तो आपको पता ही होगा, इतने बड़े विद्वान जो ठहरे 😃

हमें तो ब्लॉक कर रखा है विद्वान महोदय ने, कोई संदेशा भिजवा देना इनको 😃

Courtesy:Arun singh-(The views expressed solely belong to the writer)

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