www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

वंशवाद बनाम महागठबंधन बनाम कामदार

विपक्ष मे प्रधानमंत्री पद की लालसा ने किसी को एक होने नही दिया ।

Ad 1

Positive India:Dr.Chandrakant Wagh: तक हम इस गुमान मे थे कि चुनाव में लड़ने के जो परंपरागत नुस्खे है उसी पर चलकर अब तक विजय श्री होती रही है । वहीं सत्ता मे भी आरूढ होते रहे है । उसमे वंशवाद काफी बड़ा फैक्टर था। लोगो ने इस तरह के लोकतंत्र के नाम से चार पीढ़ीयो का राजतंत्र, लोकतंत्र के नाम बर्दाश्त किया है । जो पार्टीया इसी फार्मूले पर काम कर रही थी उन्हे भी लगने लगा की जनता इससे उब चुकी है। एक पार्टी ने तो सार्वजनिक रूप से संवैधानिक पद पर बैठे हुए शख्स को इसीलिए लताड़ा । इस चुनाव ने सभी दलो को ये संदेश दे दिया है । दूसरा फार्मूला जातिवाद का मिक्सर बनाने का था । इसके लिए पूरे मन मुटाव को भूलकर एक सिद्धांतविहीन गठजोड़ बनाया गया, उसे भी लोगो ने खारिज कर दिया । तब लगने लगा कि ये मौकापरस्त मेलमिलाप है । न नेता इससे खुश थे, न कार्यकर्ता, पर अपनी छद्म राजनीतिक हंसी का जरूर वातावरण तैयार कर रहे थे । पर सबमे ही विश्वास की कमी थी ? तीसरे फार्मूले ने अपनी विश्वसनीयता पिछले पांच छह चुनाव में ही खत्म कर ली थी । इसलिए बिंदास पीते है और जो मिलता है उसे स्वीकार भी कर लेते है । लोग वचन तो देते है और कसमे भी खाते है, पर पहले जैसे उससे बंधे नही रहते । अब अगर खर्च भी हो रहा है वो मजबूरी मे । वहीं अब लोग घोषणा पत्र और नेताओ के वादे दोनो पर कड़ी नजर रखते है । यही कारण है छ ग मे विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस के घोषणापत्र पर विश्वास रखा और सत्ता की चाबी भी सौंपी । पर लोकसभा चुनाव मे उन्होने दूसरे ही दल को जीता दिया । विधानसभा चुनाव के विपरीत नतीजे की उम्मीद किसी ने भी नही की थी । पर लोकतंत्र के लिहाज से यह सब शुभ संकेत है । नही तो आज छै दशक तक विपक्ष सशक्त नही हो पाता था । इस चुनाव मे नाम का ग्लैमर खत्म हो गया । खामोश ने खामोशी अख्तियार कर लिया । अब काम के आधार पर वोट दिया जा रहा है । विपक्ष मे प्रधानमंत्री पद की लालसा ने किसी को एक होने नही दिया । अपनी राजनैतिक शक्ति मालूम होने के बाद भी, सीबीआई के डर के बावजूद भी महत्वाकांक्षा ने इतने हिलोरे ले लिये की हार का खौफ सामने खड़े होने के बावजूद भी, उसी रास्ते निकल पड़े ।अब पांच साल फुर्सत है तब तक राजनीति कहा पहुंचे, पता नही । पर यह जरूर है आने वाले मुश्किलात से सब वाकिफ अवश्य है, पर अब बोला नही जा रहा है । गृहमंत्री भी अब सख्त व्यक्ति है, जिनके पास संदेश पहुंचना है पहुंच गया होगा । इस देश की जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग बिल्कुल सही किया है, जिसका उदाहरण मोदी सरकार 2.0 है ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Gatiman Ad Inside News Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.