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जगन मोहन रेड्डी का संघर्ष – फर्श से अर्श तक

अपनी कसम के अनुरूप जगन ने कांग्रेस को आंध्र प्रदेश से जड़ से ख़त्म कर दिया ।

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Positive India:Gajendra Sahu:
यदि आप राजनिती में चुटकी भर भी रूचि रखते है तो जगन मोहन रेड्डी का नाम आपने जरुर सुना होगा ..!
वही जगन मोहन रेड्डी, जिन्हें आय से अधिक सम्पति के प्रकरण में जेल भेज दिया गया था । वे एक सफल बिजनेसमैन है और अपना राजनितिक सफ़र 2009 में गृह ग्राम कडप्पा से सांसद बनकर शुरू किया ।
जगन मोहन रेड्डी साक्षी TV चैनल के मालिक है और वर्तमान में आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री है।

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जगन मोहन रेड्डी की कहानी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है।रेड्डी की कहानी पिता के मौत से शुरू होकर संघर्ष करते हुए पिता के सिंहासन तक पहुँचने की है । पिता के मौत के बाद राजनितिक संघर्ष , अपमान का बोझ , गिरफ्तारी , जानलेवा हमला , जनता का प्यार और आशीर्वाद की एक पूरी दास्तान है ।

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कहानी शुरू होती है सितम्बर 2009 से , ये वो काला दिन था जब आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री YSR रेड्डी की हेलीकाप्टर दुर्घटना में मौत हो गई और एक राज्य ने अपना मुखिया , एक परिवार ने अपना सहारा और एक पार्टी ने अपना ताकतवर सिपाही खो दिया था।
इस वियोग में YSR के कई चाहने वालो , कार्यकर्ताओ ने आत्महत्या कर ली,तब उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी ने सभी मृतको के परिवार से मिलने के लिए एक यात्रा निकाली ।
जगन मोहन रेड्डी का बढ़ता प्रभाव और लोकप्रियता की बात दिल्ली तक पहुंची ! दिल्ली दरबार से तुरंत इस यात्रा को रोके जाने का फरमान जारी हुआ ।
पर वे नहीं रुके।
YSR के जाने के बाद मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार के रूप में जगन मोहन रेड्डी ने अपनी छवि देखी क्योंकि उस वक्त 177 में से 170 विधायक यही चाहते थे।
परन्तु कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को दरकिनार कर पार्टी के सबसे वरिष्ट नेता रौसय्या को मुख्यमंत्री बना दिया ।
जगन मोहन रेड्डी को न मुख्यमत्री बनाया गया न काग्रेस में कोई पद दिया गया । उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ बगावत छेड़ दी, नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस अपने खिलाफ उठे बगावती सुर को बर्दाश्त न कर पाई और उनको पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। रेड्डी ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया ।

पार्टी से निकाले जाने के बाद उन्होंने अपने पिता के नाम से ही नई राजनितिक पार्टी YSR कांग्रेस पार्टी की नीव रखी । कुछ नेता जो उनके साथ कांग्रेस छोड़ कर आये थे वे भी इस पार्टी में शामिल हो गये।

YSR कांग्रेस ने अपने पहले ही चुनाव में जबर्दस्त प्रदर्शन करने में कामयाब रही। YSR पार्टी ने 2012 लोकसभा उपचुनाव में 2 में से 2 सीटो से पर कब्ज़ा किया। रेड्डी ने YSR से चुनाव लड़कर अपने प्रतिद्वंदी को लगभग 5 लाख वोटो से हरा दिया । और YSR कांग्रेस और जगन मोहन रेड्डी की लोकप्रियता का असर साफ तौर पर दिखने लगा ।
फिर 2014 के विधानसभा चुनाव में 175 सीटो में 67 सीट जीती । अभी जगन मोहन रेड्डी अपनी पार्टी को मजबूत कर ही रहे थे की उनके ऊपर आय से अधिक सम्पति रखने का प्रकरण दर्ज हो गया ।
इस मामले में उन्हें 18 महीने जेल में बिताने पड़े और जमानत पर रिहा हुए।

2017 में जगन मोहन रेड्डी ने अपने पिता की तरह ही पद यात्रा शुरू की । वे 3600 km की पदयात्रा के दौरान हर शहर,गाव,गली से लेकर हर धर्म, जाति के व्यक्ति,कार्यकर्ता और आम आदमी तक पहुंचे ।
इस दौरान उनपर विजयवाड़ा एअरपोर्ट पर जानलेवा हमला भी हुआ । हमले के डेढ़ माह बाद जब वह स्वस्थ हुए उन्होंने यात्रा को फिर शुरू किया ।
इस यात्रा ने उन्हें एक नए हीरो के रूप में ऊपर उठा दिया । उनकी छवि अब एक नेता ही नहीं बल्कि सच्चे जनसेवक के रूप में ढल चुकी थी।
यात्रा का एक एक कदम चीख चीख कर उनकी जीत का प्रमाण दे रहा था और ये प्रमाणित हुआ 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजो के आने से । YSR कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा में 175 में से 151 सीटे और लोकसभा में 25 में से 22 सीते जीती।

माता-बहन का 10 जनपथ पर अपमान करना और जगन मोहन रेड्डी को पार्टी से निकालाना, इन दोनों घटनाओं के बाद जगन मोहन ने कसम खाई थी कि वे आन्ध्र प्रदेश से कांग्रेस का नामो निशांन मिटा देंगे और अपनी कसम के अनुरूप उन्होंने कांग्रेस को आंध्र प्रदेश से जड़ से ख़त्म कर दिया ।
2019 विधानसभा और लोकसभा में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई।

वाकई जगन मोहन के जीवन में बहुत उतार-चढाव आए,पर उनके जिद,संघर्ष,सब्र और प्रतिशोध ने एक नया इतिहास गढ़ दिया ।

लेखक: गजेन्द्र साहू(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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