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Premchand

प्रेमचंद हमेशा ग़लत खलनायक चुनते हैं , वह भी विप्र

प्रेमचंद हमेशा ग़लत खलनायक चुनते हैं । कहानी सवा सेर गेहूँ में उनका खलनायक एक विप्र जी हैं जिससे किसान एक साधु के भोजन के लिए गेहूँ उधार लेता है और विप्र उस किसान को बंधुआ मज़दूर बना लेता है…

लमही गांव की मन में टूटती तसवीर और उस की छटपटाहट के बीच प्रेमचंद की जय !

लमही की जो तसवीर टूटी है मन में अभी-अभी, बिलकुल अभी शहर में तब्दील होते जाने की उस की छटपटाती लहूलुहान तसवीर भी मन में संत्रास की एक बडी़ सी चादर बिछा गई है। सरकारीकरण की आंच में वह बदसूरत…