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आंदोलन

पंजाब के अराजक और हिंसक किसान किसानों के नाम पर धब्बा क्यों हैं?

किसान के नाम पर धब्बा हैं यह किसान। अराजक शक्तियों के हाथ बिके हुए यह लोग देश और समाज का जितना नुकसान करते ही जा रहे हैं। इन को कुचल कर रख देना चाहिए। क़ानून व्यवस्था , देश और समाज के लिए…

स्वच्छ भारत आंदोलन के स्वर्णिम दौर में हम कूड़ाप्रधान देश क्यों बन रहे हैं?

कुकुर भी जिस स्थान पर बैठता है, उसे पूँछ से बुहार देता है। फिर मनुज ही कूड़े का कुबेर क्यों बन बैठा है?

तीन लड़कियों पर केंद्रित पहलवानों का आंदोलन तथा द केरला स्टोरी के आंदोलन में क्या…

एक तरफ खास परिवार के तीन पहलवान लड़कियों के लिए न्याय के नाम पर आंदोलन है। बड़े-बड़े लोग समर्थन को पहुंच रहे हैं। बड़े बड़े कारपोरेट वाले इन्वेस्ट कर रहे हैं। धरना स्थल से लेकर सेवन स्टार…

कश्मीर में हिंदू फिर पलायन क्यों हो रहे ?

एक बहुमत इस्लामिक समाज कभी भी काफिरों को स्वीकार नहीं कर सकता। अनुच्छेद 370 रहे अथवा हट जाए क्या फर्क? एक मोदी जी तो क्या 5-10 मोदी जी भी मिलकर एक बहुसंख्यक इस्लामिक समाज में हिंदुओं को बसा…

कहां गया ईवीएम आंदोलन? कहां गया टूटता लोकतंत्र?

क्या बोलते हो, क्या चाहते हो, कैसी राजनीति करते हो सारा संदेश पल भर में देशभर को पहुंच जाता है। सारे नैरेटिव टूटकर ध्वस्त हो जाते हैं। सारा एजेंडा बेआबरू हो जाता है।

लड़की हूं , लड़ सकती हूं ! स्लोगन में संभावनाएं बहुत हैं लेकिन

लड़की हूं , लड़ सकती हूं। बिलकुल खिला-खिला स्लोगन। एकदम चटक और अपीलिंग। किसी ख़ूबसूरत कविता की तरह। किसी वामपंथी सांस्कृतिक दल के नुक्कड़ गीत की थिरकन मन में हिलोर मारने लगती है। लेकिन इस स्लोगन…

भारत अब कृषि प्रधान देश नहीं कारपोरेट प्रधान देश है

भारत अब कारपोरेट प्रधान देश है। यह तथ्य किसान आंदोलन के खिदमतगारों को जान लेना चाहिए। इस सचाई को हमारे वामपंथी साथियों समेत तमाम आंदोलनकारियों को समय रहते जान-समझ लेना चाहिए। आवारा पूंजी ही…

हिंदुओं का दुर्भाग्य भी देखिए भारत जोड़ो आंदोलन के पूरे इस प्रकरण में।

इस जागरण आंदोलन के ढांचे से हमारी एक कमजोरी भी निकल कर आई। वह कमजोरी ये कि नैरेटिव का व्यापार चलाने वाले लिबरल लेफ्ट खेमा समेत तमाम दरबारी मीडिया के हम सेल्फ मेड शिकार हुए। एक पल के लिए कहें…

ट्रैक्टर मार्च:आखिर वही हुआ जिसकी आशंका थी

यह किसान नही बल्कि जहरीले जीव हैं जो मां भारती के आँचल पर जहर उगल रहे हैं...इनको निर्ममता पूर्वक कुचल देना चाहिये.....उनकी गलतफहमी दूर किया जाना जरूरी है.....ताकि इसके बाद किसी दूसरे समूह या…

एक जनआंदोलन जिसे राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने लील लिया

आंदोलन में अन्ना जी के कंधे का बहुत दुर्भाग्य पूर्ण से दुरूपयोग कर लिया गया । हालात तो यह हो गए थे कि सरकार की हठधर्मीता के चलते अन्ना जी की जान पर भी बन आई थी ।