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मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव किसी वारियर से कम नहीं

Life of a Medical Representative as Warrior.

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Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
आज मैं अपने उन साथियों के लिए लिख रहा हूँ,जो प्रत्येक चिकित्सकों को मेडिकल क्षेत्र मे नित हो रही नई नई जानकारियों से अपडेट करते रहते हैं । यह बात मैं किसी और के लिए नहीं बल्कि मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव (Medical Representative) की बात कर रहा हूँ । आम तौर पर एक आम आदमी इनको एक सैनिकों जैसे या पुलिस के समान अपने उस वर्दी मे देखते है जो मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव सामान्यतः तौर पर अपने कार्य के दौरान पहनते हैं । ये समाज का वो अंग है, जो हर समय सबको मुस्कुराते दिखता है । हर वक्त टाई, चमचमाते जूते और उस पर आम लोगों से हटकर वो पोशाक, जो पहली बार मिलने वालो को मंत्रमुग्ध कर दे । वहीं इनके बात करने का तरीका जो किसी को भी प्रभावित कर दे; यह इनके प्रोफेशन का एक अंग है । कुल मिलाकर यह प्रतिभाओं के वो नायाब हीरे होते है, जो छोटी दिखने वाली कंपनियों को भी दौड़ का हिस्सा बना देते है ।

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किसी भी प्रोडक्ट को किस तरह बेचा जाये, इसके पीछे इनकी मेहनत रहती हैं । इनकी क़ाबिलियत के बारे मे कहा जाता है कि ये मिट्टी को भी सोना बनाकर बेच दे । वहीं मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव गंजे को भी कंघी थमाने की क़ाबिलियत रखते हैं । एक बार कोई देख ले तो पहली बार यही बनने का स्वप्न पालेगा ।

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पर सामान्यतः जैसा दिखता है वैसा है नहीं । यह व्यवसाय शुरू शुरू में जब तक नौकरी न मिले तभी तक ठीक है । जैसे मैंने देखा है कि इसमें ट्रैवल बहुत है । शुरू शुरू में तो घूमने मे बहुत मजा आता है । एक युवा के पास जोश रहता है । इसलिए इन परिस्थितियो का लोग काम के साथ खूब मजा लेते है । कंपनियों को भी ऐसे ही बंदे चाहिए रहते है, जो उनकी कंपनियों के लिए पूर्ण रूप से समर्पित हो सके । उन्हे तो अपने सेल से मतलब है । मुझे अच्छे से याद है कि एक रिप्रेझेनटेटिव(Representative) का बैंक में हो गया था पर यहां की चकाचौंध के कारण उसने बैंक की सर्विस छोड़ दी । बाद मे कभी बात निकलती थी तो उसे अपने पर ही नाराजगी आती थी कि मै कितना बेवकूफ था ।

जब रिप्रेझेनटेटिव रहते है तो आसपास का दौरा रहता है । इसमे इनको अपने व परिवार के लिए बिलकुल ही समय नहीं रहता । इनको हर समय प्रतिदिन चिकित्सकों(Doctors) के मिलने का कोटा रहता है । वही सबसे बड़ा मानसिक तनाव, कैसा भी मौसम हो, बीमारी हो, इनका एक टारगेट(Target) तय रहता है । इसे इन्हे पूरा करने का दबाव रहता है । इस प्रोफेशन मे अपने टारगेट को पूरा करने के लिए वो सभी दांव-पेंच लगाने पड़ते है जो इनके व्यवसाय और कैरियर को आगे बढ़ाने में सहायक होता है।

मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव एक ही लक्ष्य रहता है कि वे चिकित्सक की कलम से परचा निकलवाए । कई बार तो विशेषज्ञ चिकित्सकों के समय व दिन भी निर्धारित होते है, जिसे उन्हे चिकित्सक के समय के हिसाब से ही अपने उस दिन का पूरा दिन निर्धारित करना पड़ता है । कई बार तो चिकित्सकों के यहां मरीजो की भीड़ के चलते लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है । जब चिकित्सक के पास जाते हैं तो चिकित्सक इतना थका रहता है कि इनके लिए कभी-कभी समय ही नही रहता ।

वैसे मैंने कुछ लोगो को कुछ दिनों तक काम करने के बाद दूसरी सर्विस में जाते देखा है । जिसनें उस समय डाबर मे काम किया, आज सेना मे ब्रिगेडियर हे । वही एक ने ई-मरक मे काम किया, वो असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ सेन्ट्रल एक्साइज है ।

अगर इसमे प्रमोशन लो, तो और आफत बुला लो । इसमें इनके अधीन दो तीन राज्य रहते हैं । फिर लंबा दौरा ! अगर प्रमोशन न लो तो जूनियर के सामने सर बोलकर झेलने पड़ता है । कुल मिलाकर आगे पीछे दोनों तरफ खाई । इनको हर मौसम में अपने कर्तव्यो को निभाना पड़ता है । यही कारण है कि ठंडी, गर्मी, बरसात जैसी विपरीत परिस्थितियों में ये कैसे काम करते है, यह यही समुदाय जानता है । बाहर मे मजबूरी में खाना, जो इनके लिए आगे चलकर नुकसान दायक साबित होता है । इसी वजह से ये पानी चिकित्सकों के यहां ही पीते है । पचास साल के आयु के पहले इसमे से अधिकांश लोग अपना दूसरा इंतजाम कर लेते है,क्योकि पचास की आयु के बाद दौरा, बाहर का खाना, इससे लोग बचना चाहते हैं । मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव का यह हंसता हुआ नूरानी चेहरा अपने अंदर बहुत ज्वाला लिए रहता है । टारगेट को पूरा करने के बाद फिर उसे गिफ्ट में कंपनियों द्वारा और बड़ा टारगेट दे दिया जाता है । कहीं कहीं तो डिस्ट्रीब्यूटर (Ditributor) भी अपना काम इनसे लेने मे नही हिचकते । दवाई पहुंचाना, कई बार पेमेंट लेकर आना, यह इनके काम का हिस्सा नहीं होने के बाद भी इन्हें करना पड़ता है ।

दुर्भाग्य से कुछ मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव हादसे का भी शिकार हुए हैं । इसमे गनौदवाले व बैजनाथ धाम का एरिसटो मे काम करने वाला चंदन भी है । यह दोनों अपने काम से लौटते एक्सीडेंट का शिकार हुए । कम आयु में दोनों नहीं रहे तो काफी दुख हुआ । मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव चिकित्सक व कंपनियों के बीच की कड़ी रहता हैं ।

यह प्रोफेशन काफी मेहनत मांगता है, काफी संयम मांगता है। कभी-कभी तो चिकित्सकों के यहां बार बार जाने के बाद भी सहयोग नहीं मिलता; तो कितना भी अंदर से नाराजगी हो, पर बाहर से संयम दिखाना ही पड़ता है । मैं उन सभी मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव को हैटस आफ़ करूंगा, जिन्होने अपना पूरा जीवन इसमे लगाया । इसमे स्व.अमीय माधव चक्रवर्ती ( दादा ) का उल्लेख करूंगा, जिन्होने जिंदगी भर इस प्रोफेशनल के साथ न्याय कर, दूसरो को प्रेरित किया । इतने मुश्किलात भरे प्रोफेशन को इन लोगों ने हंसते हुए कर लिया । इतना जरूर है कि काम करते करते मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव आधा डाक्टर बन जाते है । एक ही सुझाव इनके लिये, अच्छी खासी रकम का बीमा, कंपनियों की तरफ से बीमा कराना चाहिए । मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक होते है, जो अपने छवि को लेकर सजग रहते है । सहयोग के लिए इनके हाथ हमेशा तत्पर रहते हैं ।

यही लोग है जो चिकित्सकों को नई जानकारी के लिए सीएमई का आयोजन करते है । एक बात और नये मॉलिक्यूल पर इनकी जानकारी गहरी तथा पूरी रहती हैं, जो चिकित्सकों को चिकित्सा मे ही लाभ प्रदान करता है । मेडिकल रिप्रेझेनटेटिव को इन सबके लिए साधुवाद । बस इतना ही।

लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ-अभनपूर

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