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हल्द्वानी दंगा गवाह है कि कांग्रेस ने उत्तराखंड को बर्बाद कर देने की पूरी योजना बना ली थी

-सर्वेश कुमार तिवारी की कलम से-

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Positive India:Sarvesh Kumar Tiwari:
एक चुनाव में एक अधर्मी सरकार चुन ली जाय तो केवल पाँच वर्ष में ही वह राज्य का कितना अहित कर सकती है, यह उत्तराखंड को देख कर समझा जा सकता है। कांग्रेस की एक पंचवर्षी सरकार ने उत्तराखंड को बारूद के ढेर पर खड़ा कर दिया। अपनी असभ्यता और मध्यकालीन बर्बरता के कारण अपने मूल देश से खदेड़े गए आतंकी रोहिंज्ञाओं को अंधाधुंध बसा कर हरीश रावत ने उस शांत पहाड़ी प्रदेश का यह हाल कर दिया कि आतंकी भीड़ अब पुलिसकर्मियों तक को नहीं छोड़ती। पुलिस थाने में छुपती पर अपनी भी रक्षा नहीं कर पाती…

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उत्तराखंड अपनी शांति, सादगी और शुचिता के कारण ही देवभूमि कहलाता है। वहाँ की बूंद बूंद में गंगा हैं, कंकण कंकण में शंकर… युग युगांतर से आध्यात्म की खोज में निकले युवक और जीवन की सांध्य बेला में शान्ति ढूंढने निकले बुजुर्ग हिमालय की गोद में विचरते रहे हैं। उत्तराखंड स्वर्ग भले न हो, स्वर्ग का द्वार तो अवश्य ही है। लेकिन वोट के लोभ में पिछली सरकार ने जिस तरह स्वर्ग के मार्ग में दैत्यों का वास कराया है, वह अत्यंत बुरा है, भयावह है। उस भ्रष्टाचार का परिणाम अब दिख रहा है।

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आप कल्पना कर के देखिये, जो भीड़ एक साथ 160 पुलिसकर्मियों को बुरी तरह घायल कर देती है, उसके मंसूबे कितने खतरनाक रहे होंगे। यह सोचना भी भयभीत कर देता है कि यह भीड़ वहाँ के मूल पहाड़ियों के साथ कैसा व्यवहार करती रही होगी। और इसके बाद उनके इको सिस्टम की मजबूती का आलम यह है कि विदेशी चंदों पर पलने वाले अनेकों पत्रकार उन अपराधियो और उनके समर्थकों को पीड़ित बता कर उनके प्रति सहानुभूति का माहौल बनाने में लगे हैं।

उत्तराखंड के निवासी पिछले कई वर्षों से लगातार इस इस अवैध कब्जे का विरोध करते रहे हैं। “ये बेचारे और कहाँ जाएंगे” की फर्जी दलील के बल पर कोर्ट भी उनका साथ नहीं देता, और कांग्रेस की तो उत्तराखंड को बर्बाद कर देने की पूरी योजना ही थी। पर क्या “ये बेचारे कहाँ जाएंगे?” के बकवास तर्क पर किसी शांतिपूर्ण राज्य को अपराध का गढ़ बनाया जाना चाहिये?

अभी नेट पर एक वीडियो देखा। एक घायल महिला पुलिसकर्मी बता रही है कि जन उन्होंने आगजनी कर रहे किसी युवक को पकड़ा तो पता चला कि वह उत्तर प्रदेश के बरेली से गया हुआ है। आप सोच कर देखिये कि यह कितने सुनियोजित तरीके से हो रहा है। यह केवल उत्तराखंड के लिए ही भयावह नहीं है, यह देश के लिए भी भयावह है।

हल्द्वानी की घटना ने उत्तराखंड के सत्य को उजागर कर दिया है, और यह भी स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने कितनी बड़ी चुनौती है। पर यह भी सत्य है कि धामी को इस बीमारी का इलाज करना ही होगा। इसे कल पर टाला नहीं जा सकता।

उत्तराखंड की शुचिता बनी रहनी चाहिये, उत्तराखंड का मूल स्वभाव बचा रहना चाहिये। वह भारतवर्ष का तीर्थ है, राक्षसों की पनाहगाह नहीं। वहाँ से हर बाहरी घुसपैठी को निकाल कर बाहर किया जाना चाहिये।

साभार:सर्वेश तिवारी श्रीमुख-(ये लेखक के अपने विचार हैं)
गोपालगंज, बिहार।

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