www.positiveindia.net.in
Horizontal Banner 1

गुवाहाटी के पास नवीनतम प्रौद्योगिकी एकीकृत बांस उपचार संयंत्र का उद्घाटन

उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय, स्टार्ट-अप्स और नए उद्यमियों को बांस के माध्यम से बिजनेस के अवसरों की संभावना तलाशने के लिए लिए प्रोत्साहित कर रहा है : डॉ जितेंद्र सिंह

Ad 1

Positive India Delhi 26 February 2021
उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) (डीओएनईआर), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज नवीनतम एकीकृत प्रौद्योगिकी बांस उपचार संयंत्र का उत्तर-पूर्व बेंत और बांस विकास परिषद के परिसर में उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद श्री जितेंद्र सिंह ने प्लांट के तकनीशियनों और कलाकारों के साथ बातचीत की। इसके अलावा उन्होंने जम्मू और कश्मीर के अधिकारियों के एक समूह से भी मुलाकात की, जो इस समय पूर्वोत्तर भारत में बांस अध्ययन दौरे पर आया .इस अवसर पर उत्तर पूर्वी परिषद (एनईसी) के सलाहकार एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) अंजन गोगोई और केंद्र के सीएमडी शैलेन्द्र चौधरी भी मंत्री के साथ मौजूद थे। इस दौरान परिसर में कई प्रकार के बांस के उत्पादों का प्रदर्शन भी किया गया।
बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, बांस कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाने जा रहा है। यह भूमिका न केवल पूर्वोत्तर भारत के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए होगी। उन्होंने आगे कहा कि कोविड के बाद के दौर में, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए नए और गैर पारंपरिक रास्तों की तलाशना होगा। उत्तर पूर्वी क्षेत्र में विशाल बांस के भंडार हैं। जिनका अभी तक बहुत कम इस्तेमाल हुआ है। वह अर्थव्यवस्था के निर्माण में प्रमुख जरिया बनेंगे।डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात की भी जिक्र किया कि बांस और इसके लागत प्रभावी उत्पादों के बारे में जागरूक करने के लिए, पूर्वोत्तर परिषद और डीओएनईआर मंत्रालय ने एक देशव्यापी अभियान शुरू किया है। इसके तहत स्टार्ट-अप्स और नए उद्यमियों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। बांस के माध्यम से व्यापार के अवसरों का पता लगाने के लिए जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश, तकनीकी नॉलेज और उत्तर-पूर्व बेंत और बांस विकास परिषद (एनईसीबीसीडीसी) के सहयोग से तीन बांस क्लस्टर स्थापित करेगा। जहां पर अगरबत्ती, टोकरी और चारकोल का उत्पादन किया जाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। और लोगों के घरों में उगाए जाने वाले बांस को 100 साल पुराने वन कानून से छूट दे दी गई है। यह एक ऐतिहासिक फैसला है। इस कदम से युवा उद्यमियों के लिए बांस का कारोबार करने में आसानी होगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसके साथ ही कोविड महामारी के दौरान, अन्य देशों से आने वाली अगरबत्ती पर 35 फीसदी आयात शुल्क लगाया गया है। यह बांस की बनी अगरबत्तियों के आयात को हतोत्साहित करेगा और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के “आत्म निर्भर भारत” के आह्वान को पूरा करते हुए हुए घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा।

Gatiman Ad Inside News Ad
Horizontal Banner 3
Leave A Reply

Your email address will not be published.