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फिर गली प्रेम की मुझको भाने लगी

याद तेरी सुबह शाम आने लगी ।

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Positive India:Rajesh Jain Rahi:
फिर गली प्रेम की मुझको भाने लगी
याद तेरी सुबह शाम आने लगी।
याद आता पलटकर तेरा देखना,
तेरी पायल पुनः गीत गाने लगी।

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आज आओ प्रिये तुम पुनः बाग में
एक भौंरा कहे क्या सुनो राग में।
फिर चुनो फूल महकेे बुनो तुम सपन,
हैं अधूरे अभी तक वो पिछले जतन।
इक कहानी करो आज पूरी प्रिये,
ओस में एक तितली नहाने लगी,
फिर गली प्रेम की मुझको भाने लगी,
याद तेरी सुबह शाम आने लगी।

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चाँद खिलने लगा है किसी आस में,
इक कुमुदनी दिखी है पुनः पास में।
सब सितारे चमकते, हसीं रात है,
हाँ चलेंगें सभी साथ, बारात है।
एक माला गुँथो तुम, रखो पास अब
द्वार पर कामना गुनगुनाने लगी।
फिर गली प्रेम की मुझको भाने लगी,
याद तेरी सुबह शाम आने लगी।

रात करने लगी तेरा श्रृंगार अब,
अलविदा सारी उलझन बचा प्यार अब,
व्याकरण तोड़कर अब लिखो पातियाँ,
तेरे कदमों में थिरकें सभी मस्तियाँ ।
अब गले से लगा लो मुझे चूमकर,
एक दुनिया नयी जगमगाने लगी।
फिर गली प्रेम की मुझको भाने लगी,
याद तेरी सुबह शाम आने लगी ।

लेखक:कवि राजेश जैन ‘राही’, रायपुर

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