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Poetry

यह तुम्हारे विशाल उरोज

तुम्हारे यह विशाल उरोज काश कि समुद्र होते और मैं मछली बन कर तैरता जल के भीतर-भीतर तुम्हें जीता और जगाता रहता तुम्हें हिलोरें मार-मार कर धड़काता रहता तुम्हारा दिल तुम्हारी दुनिया जवान…