अभी भी समय है...एकत्र होना...एकजुट होना....संगठित होना सीख लीजिये...क्योंकि आसन्न भविष्य आपकी बहुत..बहुत ही बड़ी परीक्षा लेने जा रहा है...जिसे आप समझ नही पा रहें है...बहरहाल आपसे निवेदन है…
जिस तरह पुरुषत्व के बगैर पुरुष नपुंसक माना जाता है, उसी तरहा हिंदुत्व के विचारों से विहीन हिंदु भी परिवार के लिए टोंटी तो चुरा सकता है लेकिन देश या समाज के लिए हितकारी नहीं हो सकता ।
इस जागरण आंदोलन के ढांचे से हमारी एक कमजोरी भी निकल कर आई। वह कमजोरी ये कि नैरेटिव का व्यापार चलाने वाले लिबरल लेफ्ट खेमा समेत तमाम दरबारी मीडिया के हम सेल्फ मेड शिकार हुए। एक पल के लिए कहें…