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मांसाहार

मांसाहार और शाकाहार का प्रश्न खानपान का नहीं, जीवहत्या और जीवदया का प्रश्न है।

42 वर्ष पूर्ण होने पर लेखक सुशोभित ने स्वयं को दिया एक अनोखा उपहार ! पशु-पक्षियों के जीवन की अस्मिता, और अस्मिता के साथ जीवित रहने के उनके अधिकार पर वर्षों से लिखी जा रही पुस्तक की…

यह मांसाहार बनाम शाकाहार की नहीं, जीवहत्या बनाम जीवदया की बहस है!

मैं जीवहत्या को जीवदया से अधिक महत्व देता हूं और इसके बावजूद वह अपने नैतिक आधार की रक्षा कर सके। और वो यह बात जानता है कि नैतिक आधार पर उसका पक्ष कमज़ोर है।