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एजेंडा धारी

किसी लेखक के लिए किसी खूंटे में बंध कर रहना बिलकुल ज़रुरी नहीं

कम्युनिस्ट हो कर एकपक्षीय , एजेंडाधारी , अराजक और विषैला होना बहुत बुरी बात है । सभी लोग इस तत्व से चिढ़ते हैं । उन की हिप्पोक्रेसी से चिढ़ते हैं ।