Positive India Delhi 25 February 2021
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के दो साल पूरे होने पर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इससे करोड़ों किसानों के जीवन में बदलाव आया है और वे ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के अभिन्न अंग बन रहे हैं।
मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीट कर कहा, ‘‘पीएम किसान निधि की लॉन्चिंग को आज दो साल पूरे हो रहे हैं। अन्नदाताओं के कल्याण को समर्पित इस योजना से करोड़ों किसान भाई-बहनों के जीवन में जो बदलाव आए हैं, उससे हमें उनके लिए और अधिक काम करने की प्रेरणा मिली है।’’
उन्होंने कहा,अन्नदाताओं के जीवन को आसान बनाने और उनकी आय दोगुनी करने का जो संकल्प देश ने लिया है, उसमें पीएम किसान निधि की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज हमारे किसान आत्मनिर्भर भारत अभियान के भी अभिन्न अंग बन रहे हैं।
इस योजना की शुरुआत 2019 में आज ही के दिन हुई थी। इसके तहत सरकार किसानों के बैंक खातों में हर साल 6000 रुपये जमा करती है। सरकार यह राशि तीन बराबर किस्तों में सीधे किसानों के खाते में डालती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का पेट भरने वाले मेहनतकश किसानों के जीवन में सम्मान और समृद्धि सुनिश्चित करने के मकसद से इस योजना की शुरुआत की गई थी।
उन्होंने कहा,हमारे किसानों का तप और जुनून प्रेरित करने वाला है।
मोदी ने कहा कि पिछले सात सालों में केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बदलाव के लिए कई कदम उठाए हैं जिनमें सिंचाई के लिए बेहतर प्रावधान से प्रौद्योगिक का इस्तेमाल, अधिक ऋण और बाजार उपलब्ध कराने से लेकर उचित फसल बीमा और मिट्टी की सेहत संबंधी जांच पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से बिचौलियों की भूमिका समाप्त होगी।
उन्होंने कहा,हमारी सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में ऐतिहासिक वृद्धि करने का सम्मान मिला। किसानों की आय दोगूनी करने के लिए हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नमो एप के माध्यम से किसानों के हित में उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी हासिल की जा सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने 25 दिसंबर को पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत वित्तीय लाभ की सातवीं किस्त जारी की थी। किसानों और कृषि क्षेत्र के संबंध में प्रधानमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर लगभग तीन महीने से आंदोलन कर रहे हैं।
सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकल सका है।
साभार: पीटीआई-भाषा